बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: आधार कार्ड से नहीं मिलती नागरिकता

नागरिकता पर महत्वपूर्ण टिप्पणी
नई दिल्ली। हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने नागरिकता के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल आधार कार्ड रखने से किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता नहीं मिलती। कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज नागरिकता का प्रमाण नहीं बनते हैं।
इस मामले में बाबू अब्दुल रूफ सरदार नामक व्यक्ति पर आरोप है कि वह जाली दस्तावेजों के सहारे एक दशक से अधिक समय तक भारत में रह रहा था। हाईकोर्ट ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह बिना वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज के भारत में अवैध रूप से प्रवेश कर गया था। रिपोर्टों के अनुसार, उसने कथित तौर पर आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और भारतीय पासपोर्ट जैसे जाली दस्तावेज प्राप्त किए थे।
बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने के आरोप में न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि नागरिकता अधिनियम के प्रावधान यह निर्धारित करते हैं कि कौन भारत का नागरिक हो सकता है और नागरिकता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज केवल पहचान के लिए हैं और सेवाओं का लाभ उठाने में सहायक होते हैं।
नागरिकता अधिनियम 1955 का उल्लेख
न्यायमूर्ति बोरकर ने बताया कि 1955 में संसद ने नागरिकता अधिनियम पारित किया, जिसने नागरिकता प्राप्त करने की एक स्थायी और संपूर्ण व्यवस्था बनाई। उन्होंने कहा कि उनके अनुसार, 1955 का नागरिकता अधिनियम आज भारत में राष्ट्रीयता से जुड़े सवालों पर निर्णय लेने के लिए मुख्य और नियंत्रक कानून है। यह कानून यह निर्धारित करता है कि कौन नागरिक हो सकता है, नागरिकता कैसे प्राप्त की जा सकती है और किन परिस्थितियों में इसे खोया जा सकता है।