बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग से यौन उत्पीड़न के आरोपी ट्यूशन टीचर को दी जमानत

बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय
बॉम्बे हाईकोर्ट: नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने 60 वर्षीय ट्यूशन शिक्षक को जमानत प्रदान की है। इस शिक्षक को पहले ही पॉक्सो कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया जा चुका था। कोर्ट ने पीड़िता के वकील द्वारा प्रस्तुत दलीलों को अस्वीकार करते हुए जमानत दी।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस सारंग वी. कोतवाल ने कहा कि संभव है कि पीड़िता को कोर्ट में उत्तर देने के लिए निर्देशित किया गया हो। उन्होंने यह भी कहा कि जिरह के दौरान लड़की ने स्वीकार किया कि उसकी मां ने उसे ट्रायल कोर्ट में सवालों के उत्तर देने का तरीका बताया था।
मामले का विवरण
2017 का मामला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में जमानत दी है। जानकारी के अनुसार, यह मामला 2017 का है, जब 15 मार्च को पीड़ित छात्रा ट्यूशन गई थी। पीड़िता की मां ने 19 मार्च 2025 को शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि शिक्षक ने उसे अपने कमरे में बुलाकर किताब पढ़ने को कहा और उसके स्तनों को गलत तरीके से छुआ। डर के मारे, लड़की बगल के कमरे में चली गई, जहाँ शिक्षक की पत्नी भी कक्षा ले रही थी।
शिक्षक का बचाव
मामले की सुनवाई के दौरान, शिक्षक के वकील सत्यव्रत जोशी ने तर्क किया कि पीड़िता ने कक्षा में न आने पर डाँटने के बाद रंजिशवश उसे झूठा फँसाया। जोशी ने यह भी बताया कि कथित घटना के समय शिक्षक की पत्नी घर में मौजूद थी, जिससे किसी अपराध की संभावना कम हो जाती है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि लड़की को उसकी मां पढ़ाती थी।
दोषी ठहराया गया
शिक्षक को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 10 और भारतीय दंड संहिता की धारा 354 और 354A के तहत दोषी ठहराया गया और उसे पाँच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। उसे 9 जनवरी, 2025 को हिरासत में लिया गया था और इससे पहले उसने 2017 में कुछ समय जेल में बिताया था।