ब्रह्मपुरा ने केंद्र सरकार पर अनुच्छेद 240 के मुद्दे पर गुमराह करने का आरोप लगाया
केंद्र सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए ब्रह्मपुरा का बयान
तरनतारन - शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक रविंदर सिंह ब्रह्मपुरा ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत लाने के मुद्दे पर जनता को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी हालिया स्पष्टीकरण पंजाब की एकता की प्रारंभिक जीत है, लेकिन यह एक चेतावनी भी है।
ब्रह्मपुरा ने केंद्र के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह स्वीकार करना कि कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार केवल स्थिति का आकलन कर रही थी। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में उठे विरोध ने केंद्र को अपने कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया है।
एक विज्ञप्ति में उन्होंने केंद्र सरकार की तकनीकी चालाकी पर टिप्पणी करते हुए कहा, "केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के तहत लाना केवल कानून बनाने की प्रक्रिया को 'सरल' बनाने के लिए है। मैं पंजाबियों से अपील करता हूँ कि वे जागरूक रहें! अनुच्छेद 240 तानाशाही का एक उपकरण है, न कि सरलीकरण का।"
उन्होंने कानूनी पहलुओं को स्पष्ट करते हुए कहा, "यदि यह अनुच्छेद लागू हो गया, तो चंडीगढ़ के लिए कानून बनाने की शक्ति संसद से छीनकर सीधे राष्ट्रपति को, यानी केंद्रीय मंत्रिमंडल को हस्तांतरित कर दी जाएगी। इससे केंद्र को बिना किसी संसदीय बहस के चंडीगढ़ पर कोई भी 'काला कानून' थोपने की अनुमति मिल जाएगी। हम इस 'पिछले दरवाजे से घुसपैठ' को कभी सफल नहीं होने देंगे।"
ब्रह्मपुरा ने गृह मंत्रालय के इस आश्वासन की भी आलोचना की कि सभी हितधारकों से परामर्श किया जाएगा। उन्होंने इसे धोखा बताते हुए कहा, "चंडीगढ़ का केवल एक ही हितधारक है, और वह है पंजाब।" उन्होंने मांग की कि केंद्र को 'संविधान (131वाँ संशोधन) विधेयक 2025' को लोकसभा बुलेटिन से तुरंत वापस लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल तब तक चुप नहीं बैठेगा, जब तक विधेयक को लिखित रूप से रद्द नहीं किया जाता। उन्होंने पंजाब के लोगों से केंद्र के "यू-टर्न" को अपनी सामूहिक शक्ति के संकेत के रूप में देखने की अपील की और कहा कि केंद्र सरकार की नीयत में अभी भी खोट है।
