ब्रिक्स समिट 2025: भारत को मिलेगी नई भूमिका

ब्रिक्स समिट 2025 का महत्व
BRICS Summit 2025: प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील के रियो में ब्रिक्स समिट में भाग लेने के लिए पहुंच चुके हैं। इस बार की बैठक विशेष है क्योंकि इसमें रूस और चीन के नेता शामिल नहीं होंगे। इस स्थिति में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। शी जिनपिंग की अनुपस्थिति ने सभी को चौंका दिया है, क्योंकि वे पहले कभी भी ब्रिक्स से दूर नहीं रहे हैं। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब ट्रंप के टैरिफ को लेकर वैश्विक स्तर पर हलचल मची हुई है।
चीन का प्रतिनिधित्व
इस बार चीन का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे, जबकि दक्षिण अफ्रीका के पीएम सिरिल रामाफोसा इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। इस स्थिति में भारत के पास सम्मेलन का केंद्र बनने का एक सुनहरा अवसर है। चीन और रूस की अनुपस्थिति में पीएम मोदी को प्रमुखता मिलेगी, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक मौका है।
जिनपिंग की अनुपस्थिति के कारण
चीन कई आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें टैरिफ एक प्रमुख मुद्दा है। ट्रंप द्वारा निर्धारित टैरिफ की समयसीमा समाप्त हो चुकी है, जिससे चीन की व्यापार नीति में अस्थिरता आई है। जिनपिंग ने अपने करीबी सहयोगी ली कियांग को भेजकर यह संकेत दिया है कि वह इस समिट को नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं।
पुतिन का वर्चुअल जुड़ाव
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस समिट में उपस्थित नहीं होंगे, लेकिन वे वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगे। पुतिन की अनुपस्थिति का एक बड़ा कारण यह है कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा युद्ध अपराधी घोषित किया गया है। ब्राजील, जो अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का सदस्य है, पुतिन को गिरफ्तार कर सकता है यदि वे वहां उपस्थित होते।
जी7 की तुलना
ब्रिक्स का विस्तार अब एशिया और अफ्रीका से बाहर हो चुका है। 2024 में इसमें पांच नए देशों को शामिल किया गया, जिनमें ईरान, इथोपिया, इंडोनेशिया, मिस्र और इथोपिया शामिल हैं। 2023 में यूएई और सऊदी अरब भी इसके सदस्य बने। इस प्रकार, अब इसकी तुलना जी7 से की जाने लगी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत अपनी भूमिका को कैसे परिभाषित करता है।
भारत को संभावित लाभ
चीन और रूस की अनुपस्थिति में भारत को एक बार फिर वैश्विक दक्षिण की आवाज बनने का अवसर मिलेगा। दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन के लिए भारत की छवि एक स्थिर, लोकतांत्रिक और विश्वसनीय देश के रूप में स्थापित है। इसके अलावा, भारत ब्रिक्स समिट में पहलगाम हमले पर एक संयुक्त बयान जारी करवा सकता है, जो पहले शंघाई समिट में आतंकवाद पर साझा बयान न आने के कारण नहीं हो पाया था।