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भाजपा और जाट नेताओं के बीच बढ़ती दूरी: क्या है असली कारण?

भाजपा और जाट नेताओं के बीच बढ़ती दूरी ने राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया है। हाल ही में जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने इस स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। जानें कि कैसे हरियाणा में भाजपा की गैर-जाट राजनीति का असर अन्य क्षेत्रों में भी दिख रहा है और जाट नेताओं की स्थिति क्या है। क्या यह भाजपा के लिए एक नई चुनौती है? इस लेख में हम इन सभी पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
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भाजपा और जाट नेताओं के बीच बढ़ती दूरी: क्या है असली कारण?

भाजपा और जाट नेताओं के बीच तनाव

सोशल मीडिया पर चल रहे मजाक के पीछे एक सच्चाई है। भाजपा और जाट नेताओं के बीच संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा जानबूझकर जाटों से दूरी बना रही है। भाजपा के अपने जाट नेता भी इस स्थिति से संतुष्ट नहीं हैं। संजीव बालियान को भाजपा में प्रमुखता दी गई थी और उन्हें मंत्री भी बनाया गया था। लेकिन पिछले चुनाव में हार के बाद, वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य नेताओं के साथ राजनीतिक संघर्ष में हैं।


भाजपा ने उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष जाट नेता भूपेंद्र चौधरी को बनाया है, लेकिन उनकी स्थिति भी अस्थिर है। किसी भी समय उन्हें हटाया जा सकता है, और इस बार किसी पिछड़े या ब्राह्मण नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की संभावना है.


जगदीप धनखड़ का इस्तीफा

हाल ही में जगदीप धनखड़ ने उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया, जबकि उनके कार्यकाल में दो साल बाकी थे। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन इस पर संदेह जताया जा रहा है। माना जा रहा है कि सरकार की नाराजगी के चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। उनके इस्तीफे के बाद, यह चर्चा हो रही है कि वे सत्यपाल मलिक के रास्ते पर चल रहे थे, जो पहले सरकार के कोपभाजन बने थे।


सत्यपाल मलिक को राज्यपाल के कार्यकाल में कई राज्यों में स्थानांतरित किया गया था, और अब वे केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।


हरियाणा में भाजपा की गैर-जाट राजनीति

भाजपा की हरियाणा में गैर-जाट राजनीति का असर अब अन्य क्षेत्रों में भी दिख रहा है। हरियाणा के जाट नेताओं के साथ भाजपा के संबंध और भी खराब हो गए हैं। बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद अपने बेटे को चुनाव लड़ाया, लेकिन टिकट कटने के बाद दोनों फिर से कांग्रेस में लौट गए।


2019 के चुनाव के बाद, चौधरी देवीलाल के परपोते दुष्यंत चौटाला की पार्टी ने भाजपा के साथ सरकार बनाई, लेकिन अब उन्हें हटा दिया गया है। हरियाणा में भाजपा के जाट नेता कैप्टेन अभिमन्यु भी असमंजस में हैं। इस स्थिति को देखते हुए, लोग चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी को सावधान कर रहे हैं।