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भारत-अमेरिका रक्षा सौदों में टैरिफ के कारण रुकावट

भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सौदों में हाल ही में टैरिफ के कारण रुकावट आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए अतिरिक्त आयात शुल्क के चलते भारत ने कई महत्वपूर्ण रक्षा खरीद योजनाओं को अस्थायी रूप से रोक दिया है। इस स्थिति का असर लगभग 45,000 करोड़ रुपये के सौदों पर पड़ा है, जिसमें स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहन और P-8I समुद्री गश्ती विमान शामिल हैं। जानें इस मुद्दे के पीछे की वजहें और भारत की रणनीतिक स्थिति के बारे में।
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भारत-अमेरिका रक्षा सौदों में टैरिफ के कारण रुकावट

रक्षा सौदों पर टैरिफ का प्रभाव

अमेरिका की आयात शुल्क नीतियों के चलते भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण रक्षा सौदों में ठहराव आ गया है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के जवाब में स्ट्राइकर बख्तरबंद लड़ाकू वाहन, जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल और बोइंग P-8I समुद्री गश्ती विमानों की खरीद और सह-उत्पादन योजनाओं को अस्थायी रूप से रोक दिया है।


अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद जारी रखने पर भारतीय निर्यात पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, भारत ने अमेरिका से हथियारों और विमानों की नई खरीद की योजनाओं को रोक दिया है। इस स्थगन का असर लगभग 45,000 करोड़ रुपये के सौदों पर पड़ा है, जिसमें स्ट्राइकर वाहन, जेवलिन मिसाइल और छह अतिरिक्त P-8I पोसाइडन विमानों की खरीद शामिल है।


भारत ने अपनी नौसैनिक निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए छह और P-8I विमानों की खरीद की योजना बनाई थी, लेकिन अमेरिकी टैरिफ के कारण इन विमानों की लागत में लगभग 50% की वृद्धि हो गई है। मई 2021 में, अमेरिकी विदेश विभाग ने छह अतिरिक्त P-8I विमानों और संबंधित उपकरणों की संभावित बिक्री को मंजूरी दी थी, जिसकी अनुमानित लागत $2.42 बिलियन थी।


स्ट्राइकर इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल और जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों के सह-उत्पादन पर भी चर्चा रुकी हुई है। भारत अपनी सैन्य आधुनिकीकरण योजनाओं के तहत, विशेषकर चीन सीमा पर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए इन महत्वपूर्ण हथियारों को प्राप्त करने की इच्छा रखता था।


हालांकि, विदेश मंत्रालय ने हाल ही में कहा है कि रक्षा खरीद प्रक्रियाओं में प्रगति जारी है। लेकिन यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत अमेरिका के साथ संबंधों को आपसी सम्मान और साझा हितों के आधार पर आगे बढ़ाना चाहता है। टैरिफ के कारण उत्पन्न तनाव और द्विपक्षीय संबंधों की अनिश्चितता के चलते, भारत इन रक्षा सौदों पर आगे बढ़ने से पहले स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार कर रहा है। यह कदम भारत की सामरिक स्वायत्तता और लागत संबंधी चिंताओं को दर्शाता है, साथ ही स्वदेशी रक्षा विकल्पों में बढ़ती रुचि को भी उजागर करता है।