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भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में नई चुनौतियाँ सामने आईं

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में नई चुनौतियाँ सामने आई हैं। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने कहा है कि अधिक वार्ता की आवश्यकता है। कृषि और डेयरी क्षेत्रों में भारत का सख्त रुख है, जबकि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने व्यापार समझौते को लेकर सकारात्मकता व्यक्त की है। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है और भारत की रणनीति क्या है।
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भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में नई चुनौतियाँ सामने आईं

व्यापार समझौते की संभावनाएँ कमज़ोर

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की संभावनाएँ अब कमजोर होती नजर आ रही हैं। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने कहा है कि दोनों देशों के बीच "अधिक वार्ता" की आवश्यकता है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीर ने यह टिप्पणी उस समय की जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 1 अगस्त की टैरिफ समय सीमा नजदीक आ रही है। इस तिथि के बाद, कई देशों को उच्च टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, भारत को ट्रम्प की ओर से कोई टैरिफ पत्र नहीं मिला है, जिससे यह स्पष्ट नहीं है कि 2 अप्रैल को घोषित 26% टैरिफ 1 अगस्त से लागू होगा या नहीं।


कृषि और डेयरी क्षेत्रों में भारत का सख्त रुख

कृषि और डेयरी क्षेत्रों में भारत का कड़ा रुख

भारत ने इस वर्ष की शुरुआत में व्हाइट हाउस के साथ व्यापार वार्ता आरंभ की थी, लेकिन कृषि और डेयरी क्षेत्रों में उसका रुख सख्त बना हुआ है। ग्रीर ने सीएनबीसी के एक साक्षात्कार में कहा, "हम अपने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत जारी रख रहे हैं, और हमारे बीच हमेशा रचनात्मक चर्चा होती रही है।" उन्होंने आगे कहा, "वे अपने बाजार के कुछ हिस्सों को खोलने में रुचि दिखा रहे हैं, और हम भी उनके साथ बातचीत जारी रखने के लिए तैयार हैं। लेकिन हमें और वार्ता की आवश्यकता है ताकि यह समझा जा सके कि वे कितने महत्वाकांक्षी होना चाहते हैं।"


भारत की रणनीति और राष्ट्रीय हित

भारत की रणनीति और राष्ट्रीय हित

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में इस समझौते को लेकर सकारात्मकता व्यक्त की और कहा कि भारत-अमेरिका संबंध विवादों से मुक्त हैं। उन्होंने बताया कि व्यापार समझौता वार्ताएँ "तेज गति" से चल रही हैं, लेकिन भारत अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा। गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि व्यापार समझौते समय सीमा के आधार पर नहीं हो सकते। भारत ने ऑटो पार्ट्स और फार्मास्यूटिकल उत्पादों पर टैरिफ हटाने की सहमति दिखाई है, लेकिन कृषि और डेयरी क्षेत्रों पर सख्त प्रतिबंध बनाए रखे हैं। ग्रीर ने कहा, "भारत की व्यापार नीति लंबे समय से अपने घरेलू बाजार को मजबूती से संरक्षित करने पर आधारित है। यह उनकी कार्यशैली है."