भारत-अमेरिका व्यापार विवाद: ट्रंप की नई टैरिफ नीति

भारत पर अमेरिकी टैरिफ का असर
भारत अमेरिका टैरिफ विवाद: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर दोहरी कार्रवाई करते हुए न केवल आयात पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया, बल्कि रूस से तेल खरीद जारी रखने के लिए नए प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी है। इसके परिणामस्वरूप, भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात अब 50% टैरिफ के अधीन होगा, जिससे भारतीय व्यापारियों और उपभोक्ताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है.
विश्वव्यापी आर्थिक संकट के बीच यह निर्णय
यह निर्णय उस समय आया है जब वैश्विक स्तर पर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा संकट और आर्थिक अस्थिरता का सामना किया जा रहा है। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि भारत की रूस से निरंतर तेल खरीद वैश्विक प्रतिबंधों के प्रभाव को कमजोर कर रही है। जब ट्रंप से पूछा गया कि केवल भारत को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है जबकि चीन भी ऐसा कर रहा है, तो उन्होंने कहा, 'अभी तो केवल आठ घंटे हुए हैं, आगे बहुत कुछ होगा.'
ट्रंप की चेतावनी
ट्रंप की खुली धमकी
ट्रंप ने स्पष्ट किया कि आने वाले समय में अन्य देशों पर भी दबाव डाला जा सकता है और अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि चीन पर भी भारत जैसी कार्रवाई की जा सकती है.
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। विदेश मंत्रालय ने इसे 'अनुचित, अविवेकपूर्ण और रणनीतिक साझेदारी के मूल सिद्धांतों के खिलाफ' बताया। भारत ने स्पष्ट किया कि रूस से तेल खरीद उसकी राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, कीमतों की प्रतिस्पर्धा और 1.4 अरब लोगों के हितों से जुड़ी है.
भारत ने अमेरिका को याद दिलाया कि उसका ऊर्जा आयात बाजार के कारकों पर आधारित है, न कि किसी राजनीतिक दबाव पर। भारत ने यह भी कहा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा.
चीन पर ट्रंप की नजरें
ट्रंप की नजरें अब चीन पर
ट्रंप के बयान से यह संकेत मिलता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में संभावित शांति समझौते के बाद भारत पर लगे टैरिफ हटाए जा सकते हैं, लेकिन इस पर निर्णय बाद में लिया जाएगा। दूसरी ओर, ट्रंप ने कहा कि यदि रूस पर दबाव बनाने की आवश्यकता पड़ी, तो चीन पर भी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जा सकता है.
भारत-अमेरिका संबंधों में नया मोड़
भारत और अमेरिका के रिश्तों में यह नया मोड़ आपसी विश्वास पर सवाल उठाता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस स्थिति का कैसे सामना करता है और वैश्विक कूटनीति में कौन सी नई चालें चलती हैं.