Newzfatafatlogo

भारत-अमेरिका व्यापार विवाद: वित्त मंत्री बेसेंट की नई टिप्पणी

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापार विवादों पर अपनी नई टिप्पणी में उम्मीद जताई है कि दोनों देश जल्द ही अपने मतभेदों को सुलझा लेंगे। उन्होंने भारत द्वारा रूस से तेल खरीद को लेकर चिंता व्यक्त की, यह कहते हुए कि यह खरीद वैश्विक शांति के प्रयासों को कमजोर कर सकती है। बेसेंट ने शंघाई सहयोग संगठन की बैठक को सामान्य प्रक्रिया बताया और कहा कि भारत अमेरिका के मूल्यों के करीब है। जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनके विचार और अमेरिका की नीतियों के बारे में।
 | 

भारत और अमेरिका के व्यापार संबंधों पर नई टिप्पणी

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक मुद्दों पर उठते सवालों के बीच, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने आशा व्यक्त की है कि दोनों देश अपने व्यापार विवादों को शीघ्र हल कर लेंगे। यह टिप्पणी उस समय आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत से अपने व्यापार शुल्कों में बदलाव करने की बात की है।


बेसेंट ने इस अवसर पर भारत द्वारा रूस से तेल खरीद जारी रखने पर भी चिंता व्यक्त की। उनका कहना था कि यह खरीद मास्को के सैन्य अभियानों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत इस तेल को परिष्कृत करके अन्य देशों को बेच रहा है, जिससे रूस को आर्थिक लाभ मिल रहा है। ऐसे कदम वैश्विक शांति के प्रयासों को कमजोर कर सकते हैं।


बेसेंट ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की हालिया बैठक में भारत, रूस और चीन के नेताओं के साथ हुई मुलाकात को लेकर कोई विशेष चिंता नहीं जताई। उन्होंने इसे एक सामान्य प्रक्रिया बताया और कहा कि इसका व्यावहारिक प्रभाव सीमित रहेगा। उनका मानना है कि भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, अमेरिका के मूल्यों के करीब है।


बेसेंट ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही रूस की सैन्य व्यवस्था को मौन समर्थन दे रहे हैं, जो वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है। उन्होंने विश्वास जताया कि अमेरिका और उसके सहयोगी सही समय पर उचित कदम उठाएंगे।


राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार असंतुलन पर नाराजगी जताई थी और भारतीय बाजार में अमेरिकी उत्पादों के लिए उच्च टैरिफ को लेकर चिंता व्यक्त की थी। इसके जवाब में, अमेरिका ने कई भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया है।


बेसेंट ने कहा कि व्यापार वार्ताओं में प्रगति धीमी है, जिसके कारण वाशिंगटन को यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिका रूस पर और प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है, जबकि भारत और अमेरिका के बीच सहयोग की नींव अब भी मजबूत है।