भारत-अमेरिका व्यापार समझौता: किसानों की सुरक्षा पर सवाल

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता
भारत-अमेरिका व्यापार समझौता: हाल ही में अमेरिका में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के बाद, भारत के साथ संभावित व्यापार समझौते पर अनिश्चितता के संकेत मिल रहे हैं। ट्रंप ने कहा था कि वह जल्द ही भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापार समझौते पर विचार करेंगे, लेकिन अब नई जानकारी सामने आ रही है।
रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका भारत से मक्का और सोयाबीन जैसे कृषि उत्पादों पर कम टैरिफ की मांग कर रहा है, साथ ही आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) खाद्य पदार्थों के आयात की अनुमति भी चाहता है। भारत ने इन मांगों का विरोध किया है, क्योंकि इससे देश के लाखों किसानों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
भारत की 140 करोड़ उपभोक्ताओं को प्राथमिकता
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार का रुख स्पष्ट है। वह 140 करोड़ उपभोक्ताओं और लाखों किसानों के हितों की रक्षा को प्राथमिकता दे रही है। अमेरिका द्वारा प्रस्तावित 10 फीसदी बेस टैरिफ सभी देशों पर लागू होगा, जो भारत के लिए पर्याप्त नहीं है।
भारत ने पहले टेक्सटाइल, लेदर, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग गुड्स और ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्रों में जीरो टैरिफ की उम्मीद की थी, लेकिन अमेरिकी प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया है कि ट्रंप प्रशासन तुरंत जीरो टैरिफ की पेशकश नहीं कर सकता। इसके अलावा, भारत ने भविष्य में टैरिफ कार्रवाई से छूट की मांग की है, ताकि समझौते के बाद भी उसकी स्थिति सुरक्षित रहे।
भारतीय किसानों को होगा नुकसान
अमेरिका के लिए कृषि उत्पादों को शामिल किए बिना कोई भी समझौता स्वीकार्य नहीं है। लेकिन भारत के लिए यह मुद्दा संवेदनशील है। भारतीय किसान पहले से ही कम पैदावार और बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रहे हैं। जीएम फसलों के आयात से न केवल स्थानीय किसानों को नुकसान होगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण पर भी दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जीएम उत्पादों की अनियंत्रित आपूर्ति जैव विविधता को खतरे में डाल सकती है और जीएम खाद्य पदार्थों को स्वीकार न करने वाले देशों से निर्यात प्रतिबंध लगा सकती है।