भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव: ट्रंप की नीतियों का प्रभाव

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव
भारत और अमेरिका के बीच की रणनीतिक साझेदारी संकट में है। अमेरिकी सांसदों और पूर्व अधिकारियों का मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आत्ममुग्धता और उनकी आर्थिक नीतियां, लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को नुकसान पहुंचा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये नीतियां न केवल दोनों देशों के लिए हानिकारक हैं, बल्कि चीन और रूस को भी मजबूत बना रही हैं।
रो खन्ना का बयान
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने कहा कि ट्रंप 30 वर्षों की मेहनत से बने संबंधों को नष्ट कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रंप ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगा दिए हैं, जो किसी अन्य देश से अधिक हैं, यहां तक कि चीन से भी। खन्ना का कहना है कि इससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापार प्रभावित हो रहा है और भारत चीन और रूस की ओर झुक रहा है।
नोबेल पुरस्कार विवाद
खन्ना ने यह भी कहा कि असली समस्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने से इनकार करना है। पाकिस्तान ने ट्रंप की सराहना की थी कि उन्होंने मई में भारत-पाक संघर्ष को समाप्त किया, लेकिन भारत ने इसे आंतरिक मामला बताते हुए कोई श्रेय नहीं दिया। खन्ना का कहना है कि ट्रंप का अहंकार इस रिश्ते को नुकसान पहुंचा रहा है।
जेक सुलिवन की चेतावनी
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ अपने निजी हितों के कारण भारत के साथ संबंधों को 'किनारे पर फेंक' दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह अमेरिका के लिए एक बड़ा रणनीतिक नुकसान है, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और चीन से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है।
जॉन बोल्टन की टिप्पणी
ट्रंप प्रशासन के पूर्व एनएसए जॉन बोल्टन ने कहा कि पश्चिमी देशों ने दशकों तक भारत को रूस से दूर करने और चीन के खतरे के प्रति जागरूक करने की कोशिश की थी, जिसे ट्रंप ने अपनी नीतियों से बर्बाद कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत यह मानता रहा कि विवाद सुलझ रहा है, लेकिन अचानक ट्रंप ने 25% अतिरिक्त ड्यूटी लगा दी। बोल्टन के अनुसार, ये नीतियां न केवल भारत के लिए, बल्कि अमेरिका के लिए भी आर्थिक संकट का कारण बनेंगी।