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भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव: पूर्व अमेरिकी अधिकारियों की चेतावनी

भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में बढ़ते तनाव पर पूर्व अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि यह स्थिति बनी रही, तो अमेरिका एक महत्वपूर्ण साझेदार को खो सकता है। जेक सुलिवन और कर्ट एम. कैंपबेल ने कहा कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों से भारत को चीन की ओर धकेलने का खतरा है। उन्होंने अमेरिका को सुझाव दिया कि भारत के साथ औपचारिक रणनीतिक साझेदारी की दिशा में कदम बढ़ाए जाएं। इस लेख में दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग और साझा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई है।
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भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव: पूर्व अमेरिकी अधिकारियों की चेतावनी

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव

नई दिल्ली/वाशिंगटन: वर्तमान में भारत और अमेरिका के संबंध अभूतपूर्व तनाव का सामना कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता ठप हो गई है। इस बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और पूर्व उप-विदेश सचिव कर्ट एम. कैंपबेल ने चेतावनी दी है कि यदि यह स्थिति बनी रही, तो अमेरिका एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार भारत को खो सकता है, जिससे चीन को नवाचार के क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है।


पूर्व अधिकारियों की चेतावनी: सुलिवन और कैंपबेल ने 'फॉरेन अफेयर्स' पत्रिका में एक संयुक्त संपादकीय में कहा है कि भारत-अमेरिका साझेदारी को लंबे समय से द्विदलीय समर्थन प्राप्त है और इसने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामक नीतियों का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अमेरिकी सहयोगियों से अपील की कि वे भारत को समझाएं कि ट्रंप की बयानबाजी अक्सर केवल सौदेबाजी की रणनीति होती है, न कि स्थायी नीति।


उन्होंने यह भी बताया कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों, जैसे कि भारत पर 50 प्रतिशत तक का आयात शुल्क और पाकिस्तान के साथ अमेरिका के बढ़ते संबंधों ने भारत-अमेरिका संबंधों में गिरावट ला दी है। हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात को उदाहरण के रूप में पेश करते हुए कहा कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो अमेरिका भारत को अपने प्रतिद्वंद्वियों की ओर धकेल देगा।


संपादकीय में उन्होंने अमेरिका की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत की तुलना पाकिस्तान से करना रणनीतिक रूप से गलत है। उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान के साथ अमेरिका की चिंताएं सीमित हैं, जबकि भारत के साथ दीर्घकालिक और बहुआयामी हित जुड़े हुए हैं।


पूर्व अधिकारियों ने ट्रंप की उस टिप्पणी की आलोचना की जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम का श्रेय स्वयं को दिया था। भारत सरकार ने इस दावे को खारिज कर दिया था। इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर का व्हाइट हाउस में स्वागत किया और पाकिस्तान को व्यापार, क्रिप्टोकरेंसी और आर्थिक विकास में सहयोग का आश्वासन दिया।


सुलिवन और कैंपबेल ने अमेरिका को सुझाव दिया कि भारत के साथ एक औपचारिक रणनीतिक साझेदारी की दिशा में कदम बढ़ाया जाए, जिसे अमेरिकी सीनेट की मंजूरी मिले। उन्होंने प्रस्तावित किया कि भारत और अमेरिका को अगले दस वर्षों के लिए एक संयुक्त कार्य योजना तैयार करनी चाहिए, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेमीकंडक्टर, बायोटेक्नोलॉजी, क्वांटम टेक्नोलॉजी, स्वच्छ ऊर्जा, दूरसंचार और एयरोस्पेस जैसे क्षेत्रों में तकनीकी साझेदारी की जाए।


संपादकीय में यह भी कहा गया कि दोनों देशों को एक साझा तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना चाहिए ताकि लोकतांत्रिक देश चीन जैसे सत्तावादी प्रतिद्वंद्वियों से नवाचार की दौड़ में पीछे न रह जाएं। इसके लिए 'प्रमोट' और 'प्रोटेक्ट' एजेंडे को लागू करने की सिफारिश की गई है, जिसमें निवेश, अनुसंधान एवं विकास और प्रतिभा साझा करने के साथ-साथ निर्यात नियंत्रण और साइबर सुरक्षा जैसे उपाय शामिल हों।


पूर्व अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि अमेरिका अपनी रणनीति में बदलाव नहीं करता है, तो वह केवल एक कारोबारी सौदा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार खो देगा, जिसका सीधा लाभ चीन को मिलेगा।