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भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव: मोदी और ट्रंप के बीच संवाद की कमी

भारत और अमेरिका के बीच हाल के दिनों में तनाव बढ़ा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच संवाद की कमी प्रमुख है। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने मोदी से व्यापार और आर्थिक समझौतों पर चर्चा करने के लिए कई बार संपर्क किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। भारत अब अमेरिका के बजाय चीन के साथ नए आर्थिक अवसरों की तलाश कर रहा है। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव

हाल के दिनों में भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक नया मोड़ आया है। पहले जहां दोनों देशों के बीच दोस्ती का माहौल था, वहीं अब तनाव और अविश्वास के संकेत उभर रहे हैं। जर्मन समाचार पत्र Frankfurter Allgemeine Zeitung की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली।


रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने व्यापार टैरिफ और आर्थिक समझौतों पर चर्चा करने के लिए मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन प्रधानमंत्री ने फोन नहीं उठाया। यह स्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ महीने पहले, फरवरी 2025 में, ट्रंप ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया था और उन्हें "महान नेता" कहा था।


रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत अब अमेरिका के बजाय चीन के साथ नए आर्थिक अवसरों की तलाश कर रहा है। नई दिल्ली का इरादा है कि वह अमेरिका के दबाव के आगे झुकने के बजाय उसी की भाषा में जवाब दे। भारत अपने दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना चाहता है।


अमेरिका की अपेक्षाएँ और भारत का प्रतिरोध


अमेरिका ने भारत से अपने बाजार को अमेरिकी कृषि उत्पादों और दवाओं के लिए खोलने की उम्मीद की थी, जिसे भारत ने अपने घरेलू उद्योग के खिलाफ मानते हुए ठुकरा दिया। यही टकराव दोनों देशों के रिश्तों में ठंडक का कारण बना।


विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की एशिया-प्रशांत रणनीति भारत पर निर्भर रही है, लेकिन वर्तमान में भारत दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है। हालांकि, यह रास्ता भारत के लिए आसान नहीं होगा।


अमेरिका भारत के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, जहां कपड़े, आभूषण और ऑटो पार्ट्स जैसे उत्पादों का निर्यात होता है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यदि ट्रंप प्रशासन आयात शुल्क बढ़ाता है, तो भारत को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।


विपक्ष और सरकार की अलग-अलग राय


जहां विपक्ष इसे अमेरिका के साथ संबंधों में गिरावट का परिणाम मानता है, वहीं मोदी सरकार इसे "राष्ट्रीय हितों से समझौता न करने" की रणनीति के रूप में पेश कर रही है। सरकार का कहना है कि यदि कुछ आर्थिक चुनौतियाँ आती हैं, तो भारत की आत्मनिर्भर नीति उन्हें संभालने में सक्षम है।