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भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में नई गर्माहट: क्या है तालिबान की भूमिका?

भारत और अफगानिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों में एक नई गर्माहट देखने को मिल रही है। तालिबान की नई नियुक्तियों और भारत की मानवीय सहायता के चलते दोनों देशों के बीच संवाद फिर से सक्रिय हो गया है। जानें कैसे ये घटनाक्रम क्षेत्रीय स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में नई गर्माहट: क्या है तालिबान की भूमिका?

भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों में सुधार


नई दिल्ली: भारत और अफगानिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों में फिर से गर्माहट देखने को मिल रही है। दोनों देश पिछले कुछ वर्षों में ठंडे पड़े रिश्तों को सुधारने के लिए तेजी से कदम उठा रहे हैं। हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने यह जानकारी दी कि भारत जल्द ही काबुल में अपना दूतावास फिर से खोलेगा। इसके जवाब में तालिबान ने संकेत दिए हैं कि वह इस महीने के अंत तक नई दिल्ली में अपना पहला राजनयिक नियुक्त करेगा। इसके अलावा, तालिबान दिसंबर के अंत तक भारत में अपने दूसरे राजनयिक को भेजने की योजना बना रहा है।


2021 के बाद संबंधों का पुनर्निर्माण

अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद, भारत ने सुरक्षा कारणों से काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था। हालांकि, भारत ने अफगान नागरिकों के साथ अपने संबंध बनाए रखे और मानवीय सहायता प्रदान की। भारत ने काबुल में एक तकनीकी मिशन स्थापित किया, जिसके माध्यम से दवाइयां, खाद्यान्न और राहत सामग्री अफगान नागरिकों तक पहुंचाई गई। भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि उसकी सहायता का उद्देश्य अफगानिस्तान के लोगों की भलाई है, न कि किसी राजनीतिक लाभ के लिए। इस मानवीय दृष्टिकोण ने दोनों देशों के बीच विश्वास का एक पुल बनाए रखा है।


मुत्ताकी की यात्रा: एक नया अध्याय

अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया है। इस यात्रा के बाद से भारत और अफगानिस्तान के बीच राजनीतिक संवाद फिर से सक्रिय हो गया है। भारत ने यह स्पष्ट किया है कि वह अफगानिस्तान की संप्रभुता, अखंडता और स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्ध है।


पाकिस्तान के प्रति भारत का सख्त रुख

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि पाकिस्तान इस बात से चिंतित है कि अफगानिस्तान अपने क्षेत्रों पर संप्रभुता का प्रयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को लगता है कि उसे सीमा पार आतंकवाद करने का अधिकार है, लेकिन भारत इसे स्वीकार नहीं करेगा। भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह अफगानिस्तान के साथ मिलकर क्षेत्र में स्थिरता और शांति स्थापित करने के लिए काम करेगा।


क्षेत्रीय स्थिरता में भारत की भूमिका

अफगानिस्तान में भारत की वापसी केवल राजनयिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। भारत मध्य एशिया के साथ अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों को पुनर्स्थापित करना चाहता है। तालिबान के लिए भारत का सहयोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी वैधता बढ़ाने में सहायक हो सकता है। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों का एक नया अध्याय शुरू हो चुका है, जिसमें कूटनीति, मानवीय सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता एक साथ आगे बढ़ेंगे।