भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की दिशा में महत्वपूर्ण वार्ता

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता का महत्व
India US trade deal: भारत और अमेरिका ने व्यापारिक तनाव के बीच महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार मुद्दों पर चर्चा की है। दोनों देशों ने यह सुनिश्चित किया है कि एक लाभकारी Bilateral Trade Agreement (BTA) को शीघ्रता से पूरा करने के लिए वार्ता जारी रहेगी।
भारत का प्रतिनिधिमंडल अमेरिका में
इस प्रक्रिया के तहत, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल 22 से 24 सितंबर तक अमेरिका गया। वहां उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों, प्रमुख व्यापारियों और निवेशकों से बातचीत की। इस दौरान व्यापार समझौते की रूपरेखा, बाजार पहुंच और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।
समझौते को शीघ्रता से अंतिम रूप देने की सहमति
सरकार ने बताया कि दोनों पक्षों ने सौदे के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया और इसे जल्द फाइनल करने पर सहमति जताई। गोयल ने अमेरिका में व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर और भारत में तैनात अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर से भी मुलाकात की और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की।
नीतिगत टकराहटें और चुनौतियाँ
यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच कई नीतिगत टकराहटें हैं, जैसे कि भारत के आयातों पर अमेरिकी टैरिफ, H1-B वीजा शुल्क वृद्धि और ब्रांडेड दवाओं पर 100% शुल्क लगाने की योजना। पहले, अमेरिका ने भारतीय निर्यातकों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे बाद में 50% तक बढ़ा दिया गया।
बहु-क्षेत्रीय BTA की बातचीत
भारत और अमेरिका ने मार्च 2025 में एक बहु-क्षेत्रीय BTA की बातचीत शुरू की थी, जिसका पहला चरण अक्टूबर-नवंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इस समझौते का उद्देश्य व्यापार बाधाओं को कम करना, बाजार पहुंच को बढ़ाना और आर्थिक सहयोग को मजबूत करना है।
भारतीय फार्मा उद्योग पर प्रभाव
भारतीय फार्मा उद्योग, जो अमेरिका को बड़ी मात्रा में दवाएं निर्यात करता है, इस नए शुल्क व्यवस्था से प्रभावित हो सकता है। 2025 के पहले नौ महीनों में भारत ने लगभग 1.87 लाख करोड़ रुपये मूल्य की फार्मास्यूटिकल्स अमेरिका सहित अन्य देशों को निर्यात की थी।
आर्थिक संबंधों का भविष्य
अगले कुछ हफ्तों में अमेरिकी सरकार की नीतियों की स्पष्टता, अमेरिकी कंपनियों और भारत में निवेशकों की प्रतिक्रियाएं, और वार्ता की गति यह तय करेंगी कि यह व्यापार समझौता कैसे विकसित होता है और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों का भविष्य कैसा होगा।