भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश

दक्षिण अफ्रीका में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल की बैठक
- दक्षिण अफ्रीकी संसद परिषद ने पहलगाम के पीड़ितों की मौत पर शोक व्यक्त किया
(चंडीगढ़ समाचार) चंडीगढ़। भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल, जिसकी अगुवाई लोकसभा सांसद सुश्री सुप्रिया सुले ने की, ने केप टाउन में दक्षिण अफ्रीका की संसद में एक महत्वपूर्ण सत्र का आयोजन किया। इस सत्र का उद्देश्य हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में निर्दोष लोगों की दुखद मौत पर शोक व्यक्त करना था। प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता को साझा किया। सदन में पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट का मौन भी रखा गया।
सांसद डॉ. विक्रमजीत सिंह साहनी, जो भारत में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व महा वाणिज्यदूत भी हैं, ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारत की प्रतिक्रिया को दृढ़ और संतुलित बताया, जो आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता की नीति पर आधारित है। उन्होंने आतंकवादी नेटवर्क को समाप्त करने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. साहनी ने कहा कि भारत सीमा पार से संचालित आतंकवाद से गंभीर रूप से प्रभावित है और ऐसे हमलों का मुकाबला करने के लिए दृढ़ है। उन्होंने बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए दक्षिण अफ्रीका के अटूट समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया।
उन्होंने महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला के मूल्यों पर आधारित भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच ऐतिहासिक मित्रता को याद करते हुए कहा कि दोनों देशों को लोकतंत्र और अहिंसा के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता के माध्यम से एक सुरक्षित वैश्विक व्यवस्था सुनिश्चित करने के प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिए। भारत दक्षिण अफ्रीका की सहानुभूति को महत्व देता है और आतंकवाद के खिलाफ निकट सहयोग की आशा करता है।
इस संसदीय प्रतिनिधिमंडल में अनुराग सिंह ठाकुर, राजीव प्रताप रूडी, डॉ. विक्रमजीत सिंह साहनी, मनीष तिवारी, लावु श्री कृष्ण देवरायलू, पूर्व मंत्री आनंद शर्मा, पूर्व मंत्री वी. मुरलीधरन और राजदूत सैयद अकबरुद्दीन शामिल थे।