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भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता हुआ संपन्न

भारत और ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार को सरल और सस्ता बनाया जाएगा। इस समझौते से ब्रिटिश वस्तुओं पर टैरिफ में कमी आएगी और द्विपक्षीय व्यापार में सालाना 34 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होने की उम्मीद है। पीएम मोदी ने इसे एक महत्वपूर्ण क्षण बताया है, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए मजबूत आधार तैयार करेगा। जानें इस समझौते के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
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भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता हुआ संपन्न

भारत-यूके के बीच व्यापारिक संबंधों में नया अध्याय

नई दिल्ली। भारत और ब्रिटेन ने गुरुवार को मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार और लेन-देन को सरल और सस्ता बनाया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश व्हिस्की, कारों और अन्य वस्तुओं पर टैरिफ में कमी आएगी। इसके साथ ही, द्विपक्षीय व्यापार में सालाना लगभग 34 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बताया है।


ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ द्विपक्षीय वार्ता में, पीएम मोदी ने कहा कि यह वर्ष में तीसरी बार उनकी मुलाकात हो रही है, जो कि महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन स्वाभाविक साझेदार हैं और आज का दिन हमारे संबंधों के लिए ऐतिहासिक है। दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) और डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा। यह व्यापार और वाणिज्य में एक नया अध्याय जोड़ने का कार्य करेगा।



पहलगाम हमले की निंदा पर यूके का जताया आभार
पीएम मोदी ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा के लिए प्रधानमंत्री स्टार्मर और उनकी सरकार का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि अतिवादी विचारधारा वाली शक्तियों को लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करने दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता, यूक्रेन में चल रहे संघर्ष और पश्चिम एशिया की स्थिति पर विचार साझा किए गए। सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान आवश्यक है। आज के समय में विकासवाद की आवश्यकता है, न कि विस्तारवाद की।


आईटी और सर्विस सेक्टर को मिलेगी नई उड़ान
भारतीय आईटी पेशेवरों, शिक्षा विशेषज्ञों और सेवा क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों के लिए यूके का उच्च मूल्य वाला बाजार अब और अधिक सुलभ होगा। इसके साथ ही, भारत और ब्रिटेन के बीच हुए 'डबल कंट्रब्यूशन कंवेंशन' के तहत भारतीय कर्मचारियों को यूके में 3 साल तक सामाजिक सुरक्षा योगदान से छूट मिलेगी, जिससे कंपनियों और कर्मचारियों दोनों को लाभ होगा।