भारत और यूरोपीय संघ के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर महत्वपूर्ण चर्चा
भारत-ईयू के बीच वार्ता का महत्व
करीब एक दशक से लंबित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर वार्ता का महत्व
नई दिल्ली: भारत और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के बीच आज फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर महत्वपूर्ण चर्चा होने जा रही है। इस वार्ता का नेतृत्व उद्योग और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल करेंगे। यह ध्यान देने योग्य है कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफटीए पर बातचीत 2013 से चल रही है। हाल के परिवर्तनों और अमेरिकी टैरिफ में राहत के चलते, दोनों पक्ष इस वार्ता को तेजी से पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वैश्विक चुनौतियों का सामना किया जा सके।
यूरोपीय संघ का प्रतिनिधिमंडल
यूरोपीय संघ का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस बैठक का उद्देश्य वर्ष के अंत तक समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में प्रगति की समीक्षा करना है। ईयू टीम का नेतृत्व सबाइन वेयेंड, डायरेक्टर जनरल, ट्रेड विभाग कर रही हैं। उनका मुख्य लक्ष्य उन मुद्दों को सुलझाना है जिन पर अभी भी दोनों पक्षों में मतभेद हैं।
भारत-ईयू व्यापार का आंकड़ा
पिछले वित्त वर्ष में 136.53 अरब डॉलर का व्यापार
भारत और यूरोपीय संघ के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2024-25 में 136.53 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। वर्तमान में, भारत का ईयू को निर्यात 75.85 अरब डॉलर है, जबकि यूरोपीय संघ से भारत ने 60.68 अरब डॉलर का आयात किया है। ईयू बाजार भारत के कुल निर्यात का 17% हिस्सा है, जबकि ईयू की भारत को निर्यात हिस्सेदारी 9% है।
समझौते में अड़चनें
इन मुद्दों पर अटका है दोनों पक्षों में समझौता
अधिकारी के अनुसार, भारत-ईयू एफटीए वार्ता में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनना बाकी है। इनमें स्टील सेक्टर, कार्बन टैक्स, ऑटोमोबाइल, और नॉन-टैरिफ बैरियर्स शामिल हैं। ईयू की ओर से विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, मेडिकल डिवाइस, वाइन, स्पिरिट, मांस और पोल्ट्री जैसे उत्पादों पर बड़ी ड्यूटी कटौती की मांग की जा रही है। इसके साथ ही, यूरोपीय संघ एक मजबूत बौद्धिक संपदा अधिकार ढांचा स्थापित करने पर भी जोर दे रहा है।
भारत को संभावित लाभ
भारत को इन क्षेत्रों में होगा लाभ
विशेषज्ञों का मानना है कि समझौता लागू होने पर भारत के कई प्रमुख क्षेत्रों को सीधा लाभ मिल सकता है। रेडीमेड गारमेंट, फार्मास्यूटिकल्स, स्टील, पेट्रोलियम उत्पाद और इलेक्ट्रिकल मशीनरी जैसे सेक्टर यूरोपीय बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धा को और मजबूत कर सकेंगे। इन उत्पादों की पहुंच बढ़ने के साथ भारत का निर्यात भी तेजी से बढ़ सकता है।
