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भारत और रूस के तेल व्यापार पर अमेरिका की चिंताएं

भारत का रूस से तेल खरीदने का मामला अब अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गया है। व्हाइट हाउस के ट्रेड सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह रूस से तेल खरीदकर न केवल मुनाफा कमा रहा है, बल्कि यूक्रेन युद्ध को भी बढ़ावा दे रहा है। इस पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि चीन रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है। जानें इस जटिल व्यापार के पीछे की सच्चाई और अमेरिका की प्रतिक्रिया।
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भारत और रूस के तेल व्यापार पर अमेरिका की चिंताएं

भारत का रूस से तेल खरीदने का मामला

भारत रूस से कच्चा तेल खरीदता है, जिसे वह रिफाइन करके विभिन्न उत्पादों में बदलता है। ये उत्पाद अमेरिका के बाजार में बेचे जाते हैं, जिससे भारत को अच्छा मुनाफा होता है। इस मुनाफे का उपयोग फिर से रूस से तेल खरीदने में किया जाता है। इस प्रक्रिया के चलते, रूस उस पैसे का इस्तेमाल हथियार बनाने में करता है, जो यूक्रेन युद्ध में उपयोग होता है। व्हाइट हाउस के ट्रेड सलाहकार पीटर नवारो ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भारत न केवल मुनाफा कमा रहा है, बल्कि रूस की युद्ध गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रहा है। नवारो ने भारत को 'ऑयल लाड्रोमैट' करार दिया, जिसका अर्थ है कि भारत रूस से तेल खरीदकर उसे साफ कर रहा है।


नवारो की आलोचना और भारत का जवाब

नवारो ने यह भी कहा कि यह गलत है कि भारत को रूसी तेल की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 27 अगस्त से डबल टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है। 30 जुलाई को ट्रंप ने 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की थी, जिसके बाद 6 अगस्त को एक और 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया। इस प्रकार, भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होगा।


चीन का रूस से तेल खरीदने में प्रमुखता

रूस से तेल खरीदने में केवल भारत ही नहीं, बल्कि चीन भी प्रमुख खरीदार है। चीन की रूस से कच्चे तेल पर निर्भरता बहुत अधिक है। 2024 में, चीन ने रूस से 62.59 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कच्चा तेल आयात किया। जुलाई 2025 में, चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा आयातक बन गया, इसके बाद भारत और तुर्की का स्थान है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मुद्दे पर अमेरिका को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, न कि भारत।


भारत का अमेरिका से तेल खरीदने का रुख

जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है और इसकी मात्रा बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने के लिए रूसी तेल खरीदने की अनुमति दी थी। लेकिन अब अमेरिका की स्थिति में बदलाव आया है। जयशंकर ने इस मुद्दे पर स्पष्ट और सटीक उत्तर दिया।