भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध: एक नजर
भारत-रूस संबंधों का इतिहास
नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच संबंधों की नींव सात दशकों से भी पहले रखी गई थी। जब भारत ने स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों में चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव का सामना किया, तब अमेरिका और पश्चिमी देशों से अपेक्षित सहायता नहीं मिली। ऐसे में सोवियत संघ भारत का सबसे विश्वसनीय सहयोगी बनकर उभरा।
सोवियत संघ ने न केवल भारत को सैन्य उपकरण और हथियार प्रदान किए, बल्कि वैश्विक मंचों पर कश्मीर जैसे मुद्दों पर भी भारत का समर्थन किया। 1947 के बाद, भारत के औद्योगिक विकास में सोवियत संघ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। देश में स्टील, ऊर्जा, मैन्यूफैक्चरिंग और खनन से संबंधित बड़े सार्वजनिक उपक्रम सोवियत मॉडल और तकनीकी सहयोग से स्थापित हुए। पंचवर्षीय योजनाओं की आर्थिक संरचना भी सोवियत प्रेरणा पर आधारित थी।
रक्षा सहयोग की शुरुआत
कैसे हुई रक्षा के क्षेत्र में सहयोग की शुरुआत?
1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद, भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को तेजी से बढ़ाना शुरू किया। पश्चिमी देशों द्वारा आधुनिक लड़ाकू विमानों की आपूर्ति से इनकार के बीच, सोवियत संघ ने भारत को मिग 21 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की पेशकश की। यह विमान भारतीय वायुसेना की मुख्य ताकत बना रहा। इस समय भारत को कूटनीतिक मंचों पर भी सोवियत संघ का समर्थन प्राप्त होता रहा।
सोवियत संघ का समर्थन
सोवियत संघ कैसे दिया भारत का साथ?
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, अमेरिका के दबाव और सैन्य हस्तक्षेप की धमकी के बीच, सोवियत संघ ने बंगाल की खाड़ी में परमाणु पनडुब्बियां भेजकर भारत को सैन्य सुरक्षा का आश्वासन दिया। सोवियत संघ के विघटन के बाद भी, रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार बना रहा। भारत ने रूस से परमाणु पनडुब्बियों को लीज पर लिया और दोनों देशों ने मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल का संयुक्त उत्पादन किया।
हथियार खरीद में विविधता
भारत अन्य किन देशों से हथियार खरीद बढ़ाई?
सुखोई 30 एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों की खरीद ने रक्षा सहयोग को और मजबूत किया। हालांकि, 2014 के बाद भारत ने रक्षा आपूर्ति में विविधता लाने का निर्णय लिया और अमेरिका, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों से भी हथियार खरीदने की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया। इस कारण रूस पर निर्भरता घटकर लगभग 36 प्रतिशत रह गई है।
विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग
दोनों देश किन-किन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए?
2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, भारत ने रूस से सस्ते तेल की खरीद को प्राथमिकता दी। आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और रूस भारत के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, वर्कफोर्स, बंदरगाह और शिपिंग जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहता है।
द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, हालांकि इसमें भारत का व्यापार घाटा काफी अधिक है। रूस अब चावल, समुद्री उत्पाद और यात्री विमान खरीदकर इस असंतुलन को कम करने की दिशा में काम कर रहा है।
