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भारत और रूस के बीच व्यापार और ऊर्जा सहयोग को नई दिशा

भारत और रूस ने अपने द्विपक्षीय व्यापार और ऊर्जा सहयोग को नई दिशा देने का निर्णय लिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के बीच हुई बैठक में निर्यात बढ़ाने और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता पर जोर दिया गया। इस बैठक का महत्व वैश्विक स्थिरता के लिए भी है, खासकर जब अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ा दिए हैं। जानें इस महत्वपूर्ण वार्ता के सभी पहलुओं के बारे में।
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भारत और रूस के बीच व्यापार और ऊर्जा सहयोग को नई दिशा

भारत-रूस व्यापार समझौता

भारत और रूस के बीच व्यापार समझौता: भारत और रूस ने अपने द्विपक्षीय व्यापार और ऊर्जा सहयोग को नई दिशा देने का निर्णय लिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 21 अगस्त 2025 को मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने गैर-टैरिफ बाधाओं को समाप्त करने, भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने और ऊर्जा सहयोग को बनाए रखने पर जोर दिया। यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना कर दिया है और रूसी कच्चे तेल पर भी अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिससे भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव उत्पन्न हुआ है।


भारत-रूस संबंधों का महत्व

जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत और रूस के संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे मजबूत माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में दोनों देशों के बीच सहयोग और भी महत्वपूर्ण हो गया है। जयशंकर और लावरोव ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का संकल्प लिया। विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा।


भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने की आवश्यकता

भारतीय निर्यात में वृद्धि: व्यापार के क्षेत्र में, दोनों देशों ने फार्मास्यूटिकल, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। जयशंकर ने कहा कि उर्वरकों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके साथ ही, भारतीय आईटी, निर्माण और इंजीनियरिंग क्षेत्र के कुशल श्रमिक रूस की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। ऊर्जा सहयोग पर भी दोनों पक्षों ने गहन चर्चा की।


भारतीय नागरिकों का मुद्दा

भारतीय नागरिकों की सुरक्षा: बैठक में, जयशंकर ने रूसी सेना में सेवा दे रहे कुछ भारतीय नागरिकों के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने उम्मीद जताई कि रूस इन मामलों को शीघ्र सुलझाएगा। इसके अलावा, दोनों देशों ने यूक्रेन, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा की और वैश्विक शासन में सुधार के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को दोहराया।


भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारी

शिखर सम्मेलन की तैयारियां: जयशंकर ने मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव से भी मुलाकात की। यह बातचीत इस वर्ष के अंत में होने वाले वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर केंद्रित रही। इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों की संभावना है।


वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण

वैश्विक स्थिरता: भारत ने स्पष्ट किया है कि उसका दृष्टिकोण हमेशा बातचीत और कूटनीति के माध्यम से विवादों को सुलझाने पर आधारित है। वर्तमान परिस्थितियों में भारत और रूस की यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।