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भारत का अंतरिक्ष मिशन: PM मोदी ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से की ऐतिहासिक बातचीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बातचीत की, जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। शुभांशु शुक्ला ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बने हैं। इस संवाद में मोदी ने भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं की सराहना की और शुक्ला के योगदान को प्रेरणादायक बताया। इस मिशन के दौरान शुक्ला को 30 वैज्ञानिक प्रयोग करने की जिम्मेदारी दी गई है, जो भारत की वैज्ञानिक पहचान को और मजबूत करेगा।
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भारत का अंतरिक्ष मिशन: PM मोदी ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से की ऐतिहासिक बातचीत

प्रधानमंत्री मोदी का अंतरिक्ष संवाद

PM मोदी और शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जून को भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर मौजूद हैं। यह घटना भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बन गए हैं।


भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती भूमिका

इस विशेष बातचीत में, प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रुप कैप्टन शुक्ला के साहस और समर्पण की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी बताया कि भारत अब वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने इस संवाद की जानकारी देते हुए लिखा, "प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से बातचीत की।"


तिरंगे का गर्व


भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने ISS पर एक छोटा तिरंगा ले जाकर 140 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कहा, "यह तिरंगा केवल मेरा नहीं, बल्कि पूरे भारत का प्रतीक है।" यह क्षण भारतवासियों के लिए गर्व का अनुभव रहा।


राकेश शर्मा के बाद का मिशन

शुभांशु शुक्ला का यह मिशन राकेश शर्मा की ऐतिहासिक यात्रा के 41 वर्षों बाद भारत की सबसे बड़ी मानव अंतरिक्ष उपलब्धि है। जबकि राकेश शर्मा ने सोवियत यान में यात्रा की थी, शुभांशु शुक्ला ने ISS पर 14 दिन की सेवा दी है।


वैज्ञानिक प्रयोगों की जिम्मेदारी

इस मिशन के दौरान, ग्रुप कैप्टन शुक्ला को सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में 30 वैज्ञानिक प्रयोग करने का कार्य सौंपा गया है। इनमें बायोलॉजी, मटीरियल साइंस, फ्लूड मैकेनिक्स और स्पेस मेडिसिन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं।


भारत की नई पहचान

यह बातचीत दर्शाती है कि भारत अब केवल अंतरिक्ष अभियानों का दर्शक नहीं, बल्कि एक सक्रिय भागीदार बन चुका है। प्रधानमंत्री मोदी की इस बातचीत ने देश के युवाओं और वैज्ञानिकों को नई प्रेरणा और आत्मविश्वास दिया है।