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भारत का अंतरिक्ष स्टेशन: 2028 तक पहला हिस्सा स्थापित करने की योजना

भारत ने अंतरिक्ष में एक नया अध्याय लिखने की दिशा में कदम बढ़ाया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 22 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का मॉडल प्रदर्शित किया। भारत का लक्ष्य 2028 तक BAS का पहला हिस्सा स्थापित करना है, जिससे वह उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिनके पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन है। BAS वैज्ञानिक प्रयोगों और अंतरिक्ष पर्यटन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा। जानें BAS की विशेषताएँ और इसके द्वारा मिलने वाले लाभ।
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भारत का अंतरिक्ष स्टेशन: 2028 तक पहला हिस्सा स्थापित करने की योजना

भारत का नया अंतरिक्ष मिशन

भारत अंतरिक्ष में एक नया अध्याय लिखने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। 22 अगस्त को दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का मॉडल प्रस्तुत किया। इस अवसर पर बताया गया कि भारत का लक्ष्य 2028 तक BAS का पहला खंड अंतरिक्ष में स्थापित करना है, और 2035 तक इसके सभी पांच खंडों को पूरा करना है। यह उपलब्धि भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करेगी, जिनके पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन है।


भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की विशेषताएँ

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) एक अनुसंधान केंद्र होगा, जो पृथ्वी से 450 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थापित किया जाएगा। वर्तमान में, दुनिया में केवल दो अंतरिक्ष स्टेशन हैं: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) और चीन का तियांगोंग स्टेशन। BAS के साथ, भारत इस विशेष क्लब में शामिल हो जाएगा। BAS-01, जिसका वजन 10 टन होगा, वैज्ञानिक प्रयोगों, मानव स्वास्थ्य अध्ययन और नई तकनीकों के परीक्षण के लिए बनाया जाएगा। यह स्टेशन भारत की अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति का प्रतीक होगा।


BAS की तकनीकी विशेषताएँ

BAS में कई स्वदेशी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जैसे कि पर्यावरण नियंत्रण और जीवन समर्थन प्रणाली (ECLSS), जो अंतरिक्ष यात्रियों को आवश्यक हवा और पानी प्रदान करेगी। इसके अलावा, भारत का डॉकिंग सिस्टम और बर्थिंग मैकेनिज्म अंतरिक्ष यान को स्टेशन से जोड़ने और अलग करने में मदद करेगा। स्वचालित हैच सिस्टम दरवाजों को खोलने और बंद करने में सहायक होगा। BAS में वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए विशेष खिड़कियाँ (व्यूपोर्ट्स) होंगी, और बाहरी कार्यों के लिए स्पेस सूट और एयरलॉक की सुविधा भी उपलब्ध होगी।


BAS के लाभ

BAS केवल एक अंतरिक्ष स्टेशन नहीं है, बल्कि यह वैज्ञानिक और व्यावसायिक अवसरों का द्वार खोलेगा। यह स्टेशन अंतरिक्ष, जीव विज्ञान, चिकित्सा और अन्य ग्रहों की खोज से जुड़े प्रयोगों के लिए एक मंच प्रदान करेगा। वैज्ञानिक कम गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) के मानव शरीर पर प्रभाव का अध्ययन कर सकेंगे, जो लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए आवश्यक है। BAS अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे भारत कमर्शियल स्पेस सेक्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा।


राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर BAS का मॉडल

22 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर दिल्ली के भारत मंडपम में BAS-01 का विशाल मॉडल प्रदर्शित किया गया। यह मॉडल 3.8 मीटर चौड़ा और 8 मीटर लंबा था, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना। इस मॉडल ने न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित किया, बल्कि ISRO के बड़े सपनों को भी उजागर किया। इस समारोह ने आम जनता को अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति उत्साहित किया और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रगति को समझने का अवसर प्रदान किया।