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भारत का ऑपरेशन 'सिंदूर': आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम

भारत ने हाल ही में ऑपरेशन 'सिंदूर' के तहत आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कदम उठाया है। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पंजाब में आतंकवादी ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। 7 मई को की गई एयर स्ट्राइक्स ने मुजफ्फराबाद और कोटली के कैंपों को निशाना बनाया, जहां आतंकवादी प्रशिक्षण लेते थे। इस कार्रवाई का उद्देश्य आतंकवादियों के मनोबल को तोड़ना और भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना है। जानें इस ऑपरेशन के पीछे की रणनीति और इसके प्रभाव के बारे में।
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आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई रणनीति

जम्मू-कश्मीर में नागरिकों पर हुए आतंकवादी हमलों के बाद भारत ने जो प्रतिक्रिया दी, वह न केवल सैन्य नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव है, बल्कि यह दर्शाता है कि अब सीमाओं के पार की साजिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मई में किए गए ऑपरेशन 'सिंदूर' ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब आतंक के ठिकानों को नजरअंदाज नहीं करेगा, बल्कि सटीक और प्रभावी जवाब देगा।


इस ऑपरेशन का प्रभाव केवल आतंकवादी ढांचे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इससे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पंजाब में मौजूद आतंकवादी तंत्र को भी गंभीर नुकसान पहुंचा है। इस कार्रवाई में पांच PoK और चार पाकिस्तान स्थित ठिकानों को निशाना बनाया गया, जो तकनीकी सटीकता और रणनीतिक सोच का उदाहरण है।


7 मई की रात को की गई इन एयर स्ट्राइक्स ने मुजफ्फराबाद के सैयदना बिलाल कैंप और कोटली के गुलपुर कैंप को पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया। ये वही स्थान थे जहां जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल जैसे संगठनों के आतंकवादी प्रशिक्षण लेते थे।


हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट इमेज से यह स्पष्ट हुआ है कि हमले के स्थान पर संरचनाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो गईं, जबकि आस-पास का क्षेत्र सुरक्षित रहा। यह संकेत करता है कि संभवतः अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग किया गया।


22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था। यह हमला न केवल मानवता पर एक आघात था, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक सीधी चुनौती थी। इसके बाद ऑपरेशन 'सिंदूर' को जिस गोपनीयता और तीव्रता से अंजाम दिया गया, उसने आतंकियों के मनोबल को तोड़ दिया।


पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ और डीएस हुड्डा जैसे सैन्य विशेषज्ञों ने इस ऑपरेशन की सराहना की है, यह कहते हुए कि इससे न केवल आतंकवादी ठिकानों को नुकसान पहुंचा, बल्कि इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी गहरा है। PoK में स्थित ये कैंप लंबे समय से आतंकवादियों की लॉजिस्टिक तैयारी और घुसपैठ की योजना का केंद्र बने हुए थे।


सेना के सूत्रों के अनुसार, इन शिविरों में आतंकियों को प्रशिक्षित कर छोटे समूहों में बांटा जाता था, जिन्हें जम्मू के सीमावर्ती क्षेत्रों से भारत में दाखिल कराया जाता था। ये आतंकवादी मार्च से मई 2024 के बीच कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहे।