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भारत का ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान में आतंकी शिविरों पर हमला

भारत ने पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में 9 आतंकी शिविरों पर हमला किया, जिसमें 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया। इस कार्रवाई के बाद लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने बांग्लादेश में नए नेटवर्क बनाने की योजना बनाई है। सैफुल्लाह कसूरी के भाषण का उपयोग चरमपंथी दुष्प्रचार के लिए किया जा रहा है, और बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है।
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भारत की सख्त कार्रवाई

भारत ने पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर का संचालन किया, जिसमें पाकिस्तान में 9 आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया। इस कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया, जिससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। इसके परिणामस्वरूप लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने बांग्लादेश में चरमपंथियों के साथ मिलकर एक नया नेटवर्क बनाने की योजना बनाई है। ये संगठन भारत में आतंकियों के नए स्लीपर सेल बनाने के लिए बांग्लादेश के चरमपंथियों की मदद लेंगे। भारत की इस कार्रवाई के बाद, ये आतंकी संगठन बदला लेने के लिए सक्रिय हो गए हैं। वर्तमान में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते तनावपूर्ण हैं, जिसका फायदा उठाने की कोशिश पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा की जा रही है।


सैफुल्लाह कसूरी का भाषण

सैफुल्लाह कसूरी, जिसे खालिद के नाम से भी जाना जाता है, ने लाहौर के कसूर में एक भाषण दिया, जिसका उपयोग चरमपंथी दुष्प्रचार फैलाने के लिए कर रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों में सक्रिय हैं, जहां भारतीय छात्रों को चरमपंथी बनाने के लिए निशाना बनाया जा रहा है। ये संगठन जमात-ए-इस्लामी के साथ मिलकर सीमा पार नेटवर्क का निर्माण कर रहे हैं। बांग्लादेशी विश्वविद्यालयों में लश्कर-ए-तैयबा के तीन मुख्य स्तंभ हैं: स्थानीय कट्टरपंथियों के साथ वैचारिक गठबंधन, संस्थागत संबंध और सीमा पार प्रतिरक्षा। आईएसआई के समर्थन से, लश्कर-ए-तैयबा विभिन्न रणनीतियों पर काम कर रहा है, जिसमें वैचारिक नेटवर्क, संस्थागत कमजोरियों और रसद का समावेश है।


छात्र विंग के माध्यम से घुसपैठ

लश्कर-ए-तैयबा छात्र विंग के माध्यम से इस्लामी छात्रों के साथ समन्वय कर रहा है। यह कैंप छात्र नेटवर्क के जरिए इस्लामिक स्टडीज के माध्यम से छात्रों की भर्ती कर रहा है। जमात-ए-इस्लामी 2024 के बाद सक्रिय है, और हरकत-उल-जिहाद इस्लामी बांग्लादेश तथा जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसे संगठन लश्कर से जुड़े हुए हैं।