भारत का 'ऑपरेशन सिंधु': ईरान में फंसे छात्रों की सुरक्षित वापसी

भारत ने छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए उठाए कदम
भारत ने क्षेत्रीय तनाव के बीच ईरान में फंसे अपने छात्रों को सुरक्षित रूप से घर लाने के लिए त्वरित और संगठित प्रयास किए हैं। 21 जून की शाम को, एक विशेष विमान तेहरान से उड़ान भरकर दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा, जिसमें 310 भारतीय छात्र सवार थे। उनके परिवारों ने राहत और खुशी के साथ उनका स्वागत किया।
किसकी देखरेख में हुआ अभियान का संचालन?
किसकी देखरेख में हुआ अभियान का संचालन?
इस अभियान का संचालन भारत सरकार, विशेषकर विदेश मंत्रालय (MEA) और तेहरान में भारतीय दूतावास द्वारा किया गया। इन अधिकारियों ने प्रारंभिक योजना से लेकर विमान के टेक-ऑफ और लैंडिंग तक सभी प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कदम बढ़ते तनाव को देखते हुए उठाया गया, ताकि छात्रों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित की जा सके।
स्वास्थ्य जांच और धन्यवाद
दिल्ली पहुंचने पर सभी छात्रों की स्वास्थ्य जांच की गई। एयरलाइन स्टाफ और मेडिकल टीम ने उनकी त्वरित जांच की और आवश्यक सहायता प्रदान की। कई छात्रों ने सरकार और अधिकारियों का धन्यवाद किया। उनमें से एक ने कहा, 'यह हमारे लिए बहुत बड़ी राहत है। हमें समय पर बचाया गया।'
ऑपरेशन सिंधु का महत्व
इससे एक दिन पहले, 20 जून की रात एक और फ्लाइट दिल्ली आई, जिसमें 290 और भारतीय छात्र थे, जिनमें से अधिकांश जम्मू और कश्मीर क्षेत्र से थे। भारत सरकार ने इस अभियान को 'ऑपरेशन सिंधु' नाम दिया है, जिसका उद्देश्य मध्य-पूर्वी देशों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालना है।
ईरान सरकार का सहयोग
ईरान सरकार ने 20 जून को हवाई क्षेत्र खोला
इस अभियान को संभव बनाने के लिए, ईरान सरकार ने 20 जून को अपने हवाई क्षेत्र को विशेष रूप से खोला। इसके बाद शाह-ओ-शहर (Mashhad) से एक विमान दिल्ली भेजा गया, जिसमें छात्र सवार थे। विमान में ईरानी एयरलाइन की सुविधाएं उपलब्ध थीं, लेकिन पूरी प्रक्रिया भारत-ईरान अधिकारियों के सहयोग से संचालित हुई।
भारत की तत्परता
इस पूरे अभियान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चाहे विदेश में कोई भी अप्रत्याशित संकट क्यों न आए, भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने को तत्पर है। 'ऑपरेशन सिंधु' ने इस बात का प्रमाण पेश किया है, जिससे छात्रों और उनके परिवारों को उम्मीद और आत्मविश्वास मिला है।