भारत का ऑपरेशन सिंधु: ईरान से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी

ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत
ऑपरेशन सिंधु: भारत सरकार ने युद्धग्रस्त ईरान में फंसे अपने नागरिकों, खासकर छात्रों, को सुरक्षित निकालने के लिए ऑपरेशन सिंधु के तहत प्रयासों को तेज कर दिया है। मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच, जहां अमेरिकी बमवर्षक विमानों ने ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों पर हमले किए हैं, भारत ने मानवीय आधार पर न केवल अपने नागरिकों, बल्कि पड़ोसी देशों के लोगों को भी निकालने का निर्णय लिया है.
विशेष उड़ान से निकासी
22 जून, 2025 को मशहद से एक विशेष उड़ान के माध्यम से 311 भारतीय नागरिक नई दिल्ली पहुंचे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस जानकारी को साझा करते हुए बताया कि अब तक 1428 भारतीयों को ईरान से सुरक्षित निकाला जा चुका है। उन्होंने अपने आधिकारिक बयान में कहा, ''ऑपरेशन सिंधु जारी है। 311 भारतीय नागरिक 22 जून को 16:30 बजे मशहद से एक विशेष उड़ान से नई दिल्ली पहुंचे। अब तक 1428 भारतीय नागरिकों को ईरान से निकाला जा चुका है।'' इस निकासी अभियान में कश्मीरी छात्रों की संख्या उल्लेखनीय रही। जम्मू-कश्मीर छात्र संघ ने इस मानवीय प्रयास के लिए सरकार का आभार व्यक्त किया.
कश्मीरी छात्रों की सुरक्षित वापसी
कश्मीरी छात्रों की वापसी: परिवारों में राहत
जम्मू-कश्मीर छात्र संघ ने 15 दिसंबर को एक बयान जारी कर कहा, "मशहद, ईरान से 280 से अधिक भारतीय छात्रों को लेकर महान एयर की उड़ान (W50071A) सुरक्षित रूप से दिल्ली में उतर गई है, जिसमें 200 से अधिक कश्मीर के छात्र शामिल हैं। यह उन परिवारों के लिए बहुत राहत और खुशी का क्षण है, जो बेचैन दिलों के साथ इंतजार कर रहे थे." उन्होंने आगे कहा, ''हम विदेश मंत्रालय, सरकारी अधिकारियों और इस अभियान में शामिल सभी अधिकारियों को उनकी त्वरित प्रतिक्रिया, अथक समन्वय और मशहद, ईरान से हमारे छात्रों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने में सहयोग के लिए धन्यवाद देते हैं. आपके प्रयासों से हमारे छात्र घर वापस आ गए.''
पड़ोसी देशों के लिए भारत की मानवीय सहायता
पड़ोसी देशों के लिए भारत की मदद
भारत ने अपनी मानवीय प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हुए नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों को भी ईरान से निकालने का जिम्मा लिया है। तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने शनिवार को घोषणा की कि दोनों देशों की सरकारों के अनुरोध पर भारत उनके नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करेगा। यह कदम भारत की क्षेत्रीय एकजुटता और वैश्विक जिम्मेदारी को दर्शाता है.