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भारत का रक्षा निर्यात: 2025 में वैश्विक सौदों की नई ऊंचाई

2025 में भारत ने वैश्विक रक्षा सौदों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे वह एक उभरते हुए हथियार निर्यातक के रूप में उभरा है। अमेरिका और सऊदी अरब के बीच हुए 142 अरब डॉलर के सौदे से लेकर भारत के ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्यात तक, यह वर्ष रक्षा क्षेत्र में कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह बना है। भारत ने न केवल अपने आयात को कम किया है, बल्कि अब वह एक विश्वसनीय निर्यातक के रूप में भी पहचान बना रहा है। जानें इस क्षेत्र में और क्या हो रहा है।
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भारत का रक्षा निर्यात: 2025 में वैश्विक सौदों की नई ऊंचाई

वैश्विक रक्षा सौदों का नया युग

दुनिया भर में रक्षा सौदों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने 2025 को एक महत्वपूर्ण वर्ष बना दिया है। इस दौरान, भारत ने अपनी रक्षा नीति को सुदृढ़ करने के साथ-साथ एक उभरते हथियार निर्यातक के रूप में अपनी पहचान बनाई है।


रिकॉर्ड तोड़ सौदों की श्रृंखला

रिकॉर्ड तोड़ सौदों का दौर

मई 2025 में अमेरिका और सऊदी अरब के बीच 142 अरब डॉलर का रक्षा सौदा हुआ, जो अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा है। इसमें लड़ाकू विमान, ड्रोन और संभवतः एफ-35 शामिल हैं। पोलैंड ने पैट्रियट मिसाइल सिस्टम के लिए 2 अरब डॉलर का समझौता किया, जबकि यूके ने 12 एफ-35ए जेट्स के साथ नाटो की परमाणु हवाई रक्षा में वापसी की। यूरोपीय संघ ने 150 अरब यूरो का संयुक्त हथियार खरीद कोष शुरू किया, और फ्रांस ने स्वीडन से दो ग्लोबलआई निगरानी विमान खरीदे। स्विट्जरलैंड ने अपने एफ-35 सौदे में 1.5 अरब स्विस फ्रैंक की बढ़ोतरी के बाद पुन: बातचीत की मांग की।


एशिया में सुरक्षा रणनीतियों का विकास

एशिया में रणनीतिक बदलाव

एशिया के देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की अनिश्चितताओं के चलते अपनी रक्षा रणनीतियों को मजबूत कर रहे हैं। जापान, यूके और इटली ने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के लिए ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) की शुरुआत की। भारत ने अप्रैल में फिलीपींस को दूसरी ब्रह्मोस मिसाइल बैटरी भेजी और वियतनाम के साथ 700 मिलियन डॉलर के सौदे पर बातचीत कर रहा है। इंडोनेशिया भी 450 मिलियन डॉलर के मिसाइल सौदे को अंतिम रूप देने के करीब है।


भारत का नया अवतार: निर्यातक के रूप में उभरना

आयातक से निर्यातक बन रहा भारत

भारत अब केवल एक आयातक नहीं, बल्कि एक निर्यातक और सह-विकासक के रूप में उभर रहा है। भारत के रक्षा निर्यात में 12% की वृद्धि हुई, जो 2.76 अरब डॉलर तक पहुंच गया। लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल फैक्ट्री की स्थापना हुई, जो प्रतिवर्ष 100 मिसाइलें बनाने की क्षमता रखती है। रिलायंस और जर्मनी की डीहल डिफेंस के बीच 10,000 करोड़ रुपये का गोला-बारूद समझौता हुआ। नौसेना के लिए 63,000 करोड़ रुपये का राफेल-एम सौदा और 156 स्वदेशी प्रचंड हेलीकॉप्टरों के लिए 45,000 करोड़ रुपये का सौदा मंजूर किया गया।


वैश्विक सौदों की सूची

वैश्विक सौदों की सूची

अमेरिका-सऊदी अरब (142 अरब डॉलर): विमान, ड्रोन, रडार और संभवतः एफ-35।

अमेरिका-पोलैंड (2 अरब डॉलर): पैट्रियट मिसाइल सिस्टम।

यूके (1.5 अरब डॉलर+): 12 एफ-35ए जेट्स।

फ्रांस-स्वीडन: दो ग्लोबलआई निगरानी विमान।

यूरोपीय संघ (150 अरब यूरो): संयुक्त रक्षा कोष।

GCAP: यूके, इटली, जापान द्वारा छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान।


भारत की बढ़ती ताकत

भारत की बढ़ती ताकत

भारत ने न केवल ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात बढ़ाया, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन को भी गति दी। रडार, ड्रोन, राइफल और लॉइटरिंग मुनिशन के लिए 13 खरीद सौदों को तेज किया गया। भारत अब वैश्विक रक्षा बाजार में एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर रहा है.