भारत का रक्षा बजट: ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ती सुरक्षा जरूरतें
सुरक्षा चुनौतियों का सामना
नई दिल्ली: भारत की सुरक्षा चुनौतियाँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। सीमा पार से आतंकवाद, ड्रोन हमले और युद्ध की नई तकनीकों ने देश की सुरक्षा रणनीति को पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे में भारतीय सेना को और अधिक सक्षम और आधुनिक बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ केवल संयम नहीं, बल्कि त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की नीति पर आगे बढ़ चुका है। इसी संदर्भ में रक्षा मंत्रालय वित्त वर्ष 2026-27 के लिए रक्षा बजट में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि की योजना बना रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर का महत्व
भारत की सख्त रणनीति का संकेत अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने दिया था, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी। यह केवल एक आतंकी हमला नहीं था, बल्कि भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की एक साजिश भी थी। इसके जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की।
इस सैन्य कार्रवाई के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित कई आतंकी ठिकानों को सटीक हमलों से नष्ट कर दिया। इस ऑपरेशन में ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश एयर डिफेंस सिस्टम और स्वदेशी ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल किया, लेकिन भारत की मल्टी-लेयर एयर डिफेंस प्रणाली ने इन खतरों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। यह ऑपरेशन भारत की सैन्य क्षमता और स्वदेशी हथियारों की ताकत का एक मजबूत प्रदर्शन साबित हुआ।
बजट में वृद्धि की आवश्यकता
ऑपरेशन सिंदूर से कई महत्वपूर्ण सबक सामने आए हैं। ड्रोन युद्ध का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे निपटने के लिए बेहतर एंटी-ड्रोन सिस्टम की आवश्यकता है। इसके अलावा, लंबी दूरी से हमला करने वाले हथियारों और मजबूत एयर डिफेंस नेटवर्क की भी आवश्यकता महसूस हुई है। सेना के आधुनिकीकरण और युद्ध-तैयारी बनाए रखने के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता अनिवार्य हो गई है।
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने भी इस बात पर जोर दिया है कि भारत के कठिन पड़ोसी माहौल और दीर्घकालिक सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए बजट में बड़ी बढ़ोतरी आवश्यक है। सरकार को उम्मीद है कि वित्त मंत्रालय इस मांग पर सकारात्मक रुख अपनाएगा।
वर्तमान रक्षा बजट की स्थिति
वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का रक्षा बजट 6.81 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 9.5 प्रतिशत अधिक है। इसमें हथियारों और उपकरणों की खरीद, वेतन, पेंशन और अनुसंधान एवं विकास पर बड़ा खर्च शामिल है। खास बात यह है कि कैपिटल एक्सपेंडिचर का बड़ा हिस्सा स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आरक्षित रखा गया है।
2026-27 में संभावित बदलाव
यदि प्रस्तावित 20 प्रतिशत बढ़ोतरी को मंजूरी मिलती है, तो रक्षा बजट 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। इस अतिरिक्त राशि का उपयोग ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम, उन्नत एयर डिफेंस, लंबी दूरी की मिसाइलों, नए लड़ाकू विमानों और स्वदेशी अनुसंधान को बढ़ावा देने में किया जाएगा। इसके साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर भी जोर रहेगा।
महत्वपूर्ण निर्णय का महत्व
भारत दुनिया की बड़ी आबादी की सुरक्षा करता है, लेकिन वैश्विक रक्षा खर्च में उसकी हिस्सेदारी सीमित है। ऐसे में सेना को आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाना समय की मांग है। ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया कि सही निवेश से भारत न केवल अपने नागरिकों की रक्षा कर सकता है, बल्कि दुश्मनों को निर्णायक जवाब देने में भी सक्षम है। आने वाला रक्षा बजट इसी मजबूत और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
