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भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती पर वित्त मंत्री का बयान

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की आर्थिक स्थिति को सकारात्मक बताया और 7.8 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर की जानकारी दी। इस लेख में जानें कि उन्होंने किस प्रकार के सुधारों और नीतियों की बात की और कैसे बैंकों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को ऋण देने के लिए प्रेरित किया।
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भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती पर वित्त मंत्री का बयान

भारत की आर्थिक स्थिति पर केंद्रीय वित्त मंत्री का दृष्टिकोण

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत अपने मजबूत वृहद-आर्थिक बुनियादी ढांचे के कारण जुझारूपन दिखाने में सफल रहा है।


सीतारमण ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 91वें स्थापना दिवस समारोह में यह बात कही। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष वैश्विक माहौल में अनिश्चितता बढ़ी है, जिसका प्रभाव विभिन्न देशों पर देखा जा रहा है।


उन्होंने कहा, 'हालांकि, इन सभी चुनौतियों के बीच भारत की मजबूती स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। मजबूत वृहद-आर्थिक बुनियाद, युवा जनसंख्या और घरेलू मांग पर निर्भरता भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख ताकत हैं।'


वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो इस मजबूती को दर्शाती है।


उन्होंने कहा, 'यह केवल संयोग नहीं है। यह सक्रिय राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों, साहसिक संरचनात्मक सुधारों, भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास, बेहतर शासन और प्रतिस्पर्धा में वृद्धि का परिणाम है।'


इस अवसर पर वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को अधिक ऋण देने की आवश्यकता पर जोर दिया।


उन्होंने बैंकों से शिक्षा ऋण को प्राथमिकता देने का आग्रह करते हुए कहा कि शिक्षा ऋण के किसी भी आवेदन को अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।


नागराजू ने कृषि और संबंधित गतिविधियों में ऋण प्रवाह बढ़ाने की भी अपील की, लेकिन साथ ही कर्ज की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता पर भी बल दिया।