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भारत की आतंकवाद विरोधी लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय समर्थन का सच

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कहा है कि दुनिया भारत के साथ है, लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है? इस लेख में जानें कि कैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं पाकिस्तान को सहायता प्रदान कर रही हैं, जबकि भारत की चिंताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। क्या भारत की आतंकवाद विरोधी लड़ाई में वैश्विक समर्थन केवल दिखावा है? जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर।
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भारत की आतंकवाद विरोधी लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय समर्थन का सच

भारत की स्थिति पर वैश्विक प्रतिक्रिया

भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने हाल ही में अपनी यात्रा के बाद कहा है कि सभी देश भारत के साथ खड़े हैं और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समर्थन व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन क्या किसी ने पाकिस्तान का नाम लेकर उसकी आलोचना की? भारत ने यह स्पष्ट नहीं किया कि पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है। हालांकि, सभी देशों ने आतंकवाद के प्रति चिंता जताई और इसके खिलाफ एकजुटता की बात की। यह स्थिति दशकों से बनी हुई है, और आतंकवाद के खिलाफ उनकी एकजुटता जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उनकी लड़ाई के समान है। यह स्पष्ट है कि कई देश भारत की बातों को सुनकर भी अनसुना कर रहे हैं।


एशियाई विकास बैंक का पाकिस्तान को कर्ज

एक जून, 2025 को एशियाई विकास बैंक (ADB) के अध्यक्ष मसातो कांडा ने भारत का दौरा किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उन्होंने शहरी विकास के लिए भारत को अगले पांच वर्षों में 10 अरब डॉलर देने का आश्वासन दिया। लेकिन इसके तीन दिन बाद ही, ADB ने पाकिस्तान को 80 करोड़ डॉलर का कर्ज मंजूर कर दिया। भारत ने इस पर आपत्ति जताई, यह बताते हुए कि पाकिस्तान इन पैसों का उपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए करेगा, लेकिन ADB ने पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर का कर्ज देने का निर्णय लिया।


आईएमएफ और विश्व बैंक की भूमिका

पहलगाम कांड के बाद, भारत के विरोध के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर का कर्ज देने की घोषणा की। IMF ने पहले से मंजूर 800 करोड़ डॉलर का कर्ज भी जारी किया। जब इस प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, भारत ने विरोध किया लेकिन वोटिंग में भाग नहीं लिया। इसी तरह, विश्व बैंक ने अगले 10 वर्षों में पाकिस्तान को 20 अरब डॉलर का कर्ज देने का आश्वासन दिया। इस प्रकार, IMF, विश्व बैंक और ADB ने मिलकर पाकिस्तान की सहायता करने का निर्णय लिया। यह सोचने वाली बात है कि भारत, जो खुद को 'विश्व गुरु' मानता है, के विरोध के बावजूद ये संस्थाएं पाकिस्तान को सहायता देने में पीछे नहीं हटीं।