भारत की ऊर्जा नीति: अमेरिका के दबाव के बावजूद उपभोक्ता हितों को प्राथमिकता

भारत-अमेरिका संबंधों में ऊर्जा नीति की स्पष्टता
भारत-अमेरिका संबंध: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान पर भारत सरकार ने मंगलवार को अपनी ऊर्जा नीति को लेकर स्थिति स्पष्ट की है। भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा नीतियां केवल उपभोक्ताओं के हित और देश की ऊर्जा सुरक्षा पर आधारित हैं, न कि किसी बाहरी दबाव के तहत।
उपभोक्ता हितों को प्राथमिकता
विदेश मंत्रालय ने मीडिया में आई टिप्पणियों का उत्तर देते हुए कहा कि भारत एक प्रमुख तेल और गैस आयातक है। वैश्विक अस्थिरता के इस समय में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हमारी आयात नीतियां इसी सिद्धांत पर आधारित हैं।
सरकार ने यह भी बताया कि भारत की ऊर्जा रणनीति दो मुख्य उद्देश्यों पर केंद्रित है: स्थिर ऊर्जा कीमतें सुनिश्चित करना और आपूर्ति की सुरक्षा बनाए रखना। इसके तहत भारत ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण और वैश्विक बाजार की स्थितियों के अनुसार रणनीति बनाता है।
रूस से तेल आयात पर अमेरिका का दबाव
अमेरिका पिछले कुछ महीनों से भारत पर रूस से तेल खरीद में कमी लाने का दबाव बना रहा है। अमेरिका का तर्क है कि रूस से ऊर्जा खरीदने से उसकी युद्ध क्षमता को आर्थिक रूप से बल मिलता है, जिससे वह यूक्रेन में अपने सैन्य अभियान को जारी रखता है।
हाल ही में ट्रंप ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें बताया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है। अब हम चीन से भी यही अपेक्षा करेंगे। हालांकि, भारत सरकार ने इस दावे की पुष्टि नहीं की और कहा कि ऊर्जा खरीद के निर्णय राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर ही लिए जाएंगे।
अमेरिका से भी खरीदा तेल
भारत सरकार ने यह भी बताया कि वह पिछले वर्षों से ऊर्जा आपूर्ति के विकल्प बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। अमेरिका से ऊर्जा खरीद में वृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा गया, "पिछले एक दशक में हमने अमेरिका से तेल और गैस की खरीद में निरंतर वृद्धि की है। वर्तमान अमेरिकी प्रशासन भी भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में संवाद जारी है।"