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भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर स्पष्टता, पश्चिमी देशों की धमकियों का सामना

पश्चिमी देशों का रूस के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते भारत को भी धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भारत और चीन पर टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। हालांकि, भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए स्पष्ट रुख अपनाया है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा है कि भारत अपने नागरिकों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर स्पष्टता, पश्चिमी देशों की धमकियों का सामना

पश्चिमी देशों का रूस के प्रति गुस्सा

रूस के प्रति पश्चिमी देशों में इस समय गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। यह गुस्सा इतना बढ़ गया है कि वे रूस को प्रभावित करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। अमेरिका ने भारत और चीन पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की योजना बनाई है, जबकि यूरोपीय संघ में इस पर गहन चर्चा चल रही है। एक भारतीय कंपनी पर यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध भी लगाया है। इसके अलावा, नाटो के प्रमुख ने भारत को 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है। इसी बीच, अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने भी चेतावनी दी है कि ट्रंप प्रशासन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सैन्य अभियान का समर्थन करने वाले तेल आयातों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है।


भारत का स्पष्ट रुख

इन सभी धमकियों के बावजूद, भारत ने अपने रुख को स्पष्ट रखा है। भारत की ऊर्जा आपूर्ति की आवश्यकता को देखते हुए, विदेश सचिव ने कहा कि भारत ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपने नागरिकों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि यूरोपीय देशों को ऊर्जा संबंधी प्रतिबंधों में संतुलन बनाने की आवश्यकता है।


यूरोपीय संघ के नए प्रतिबंध

मिसरी की यह टिप्पणी तब आई जब यूरोपीय संघ ने हाल ही में रूसी ऊर्जा क्षेत्र पर नए दंडात्मक उपायों की घोषणा की थी, जिसमें गुजरात की वाडिनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध भी शामिल था। उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दों पर दोहरे मानदंड नहीं अपनाने की आवश्यकता है।


रूस से ऊर्जा खरीद में वृद्धि

यूक्रेन पर आक्रमण के बावजूद, भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रूस से अपनी ऊर्जा खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है। वर्तमान में, भारत की कुल ऊर्जा आपूर्ति में लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा रूसी कच्चे तेल का है। मिसरी ने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दों पर स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है।