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भारत की कूटनीति: ट्रंप के दबाव में स्थिति की गंभीरता

भारत की कूटनीति वर्तमान में गंभीर संकट में है, जहां अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत को अपमानित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच हुई बातचीत के विवरण पर संदेह उत्पन्न हो रहा है। क्या भारत ट्रंप के दबाव में है? जानें इस स्थिति की गहराई और इसके संभावित परिणाम।
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भारत की कूटनीति: ट्रंप के दबाव में स्थिति की गंभीरता

भारत की कूटनीति की दयनीयता

भारत की कूटनीति वर्तमान में बेहद कमजोर स्थिति में है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत का अपमान कर रहे हैं, लेकिन कोई भी उनके नाम का उल्लेख करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। पिछले एक महीने से ट्रंप की बातों का जवाब गोलमोल तरीके से दिया जा रहा है। यह स्थिति या तो इस बात को दर्शाती है कि ट्रंप सच बोल रहे हैं कि उन्होंने दबाव डालकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका, या फिर भारत इस डर में है कि ट्रंप के झूठ को झूठ नहीं कह सकता। दोनों ही स्थितियों में भारत की दयनीयता स्पष्ट होती है। भारत यह स्वीकार नहीं कर सकता कि ट्रंप ने धमकी देकर सीजफायर कराया और न ही यह कह सकता है कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं। इसलिए गोलमोल बातें की जा रही हैं जो लोगों को भ्रमित कर रही हैं।


मोदी और ट्रंप की बातचीत का रहस्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप के साथ 35 मिनट तक टेलीफोन पर बातचीत की, लेकिन इस बारे में उन्होंने कोई जानकारी साझा नहीं की। जबकि पहले वह अपने सोशल मीडिया पर हर बातचीत का ब्योरा देते थे। इससे संदेह उत्पन्न होता है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि मोदी ने ट्रंप से स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान से बातचीत के माध्यम से भारत ने सीजफायर किया था और व्यापार पर कोई चर्चा नहीं हुई थी। यह बयान बहुत अस्पष्ट और संदेहास्पद है। वहीं, ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका। यदि भारत ट्रंप का नाम लेकर यह नहीं कहता कि वे झूठ बोल रहे हैं, तो प्रधानमंत्री की बातचीत और विदेश सचिव के बयान की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है। ट्रंप अब तक 14 या 15 बार युद्ध रोकने का श्रेय ले चुके हैं, और भारत ने कभी भी उनके बयान का खंडन नहीं किया। क्या भारत को लगता है कि ट्रंप का नाम न लेना कोई बड़ी कूटनीतिक चाल है, तो यह एक बड़ी गलतफहमी है।