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भारत की 'जापद 2025' में भागीदारी: क्या है इसका वैश्विक महत्व?

भारत ने हाल ही में 'जापद 2025' सैन्य अभ्यास में भाग लिया है, जो रूस और बेलारूस के साथ मिलकर आयोजित किया गया। यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह नाटो और यूरोपीय सुरक्षा अधिकारियों के लिए चिंता का विषय है। भारत का यह कदम न केवल रूस के साथ दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक राजनीति में संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। जानें इस अभ्यास के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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भारत की 'जापद 2025' में भागीदारी: क्या है इसका वैश्विक महत्व?

भारत की सैन्य भागीदारी का महत्व

हाल ही में, भारत ने 'जापद 2025' सैन्य अभ्यास में अपने सैनिकों को भेजा है, जो रूस और बेलारूस के सहयोग से आयोजित किया गया है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि नाटो और यूरोपीय सुरक्षा विशेषज्ञ इस अभ्यास को लेकर चिंतित हैं। कई सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह अभ्यास यूरोप में सैन्य शक्ति और रणनीतिक गंभीरता को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया गया है.


रूस के साथ संबंधों को मजबूत करना

'जापद 2025' में भारत की भागीदारी रूस के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करती है। भारतीय सेना के अधिकांश हथियार और उपकरण अभी भी रूसी निर्मित हैं, जिससे यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ाने का एक अवसर बनता है। हालांकि, भारत का उद्देश्य 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत अपनी रक्षा क्षमताओं को विकसित करना और विदेशी निर्भरता को कम करना भी है.


वैश्विक राजनीति में समय की प्रासंगिकता

इस अभ्यास का समय वैश्विक राजनीति के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। वर्तमान में, भारत के अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ संबंधों में कुछ तनाव देखा जा रहा है। यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास ने चिंता जताई है कि भारत का रूस और बेलारूस के साथ सैन्य सहयोग व्यापार समझौतों और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने रूस से तेल खरीदकर अरबों डॉलर की बचत की है, इसलिए यूरोप और भारत को आपसी मुद्दों पर संवाद जारी रखना चाहिए.


भारत का संतुलित दृष्टिकोण

हालांकि, भारत ने इस मामले में संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है। अमेरिका ने व्यापार और टैरिफ के माध्यम से दबाव डालने की कोशिश की, लेकिन भारत ने बिना किसी प्रतिक्रिया के अपने रुख को बनाए रखते हुए द्विपक्षीय व्यापार वार्ता जारी रखी। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने अमेरिका के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखते हुए अपने रणनीतिक हितों और सीमाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है.


निष्कर्ष

कुल मिलाकर, 'जापद 2025' में भारत की भागीदारी रूस और बेलारूस के साथ रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने के साथ-साथ पश्चिमी देशों के साथ संतुलन बनाने की क्षमता को भी दर्शाती है। यह कदम भारत की वैश्विक सुरक्षा और कूटनीतिक नीति की परिपक्वता को प्रदर्शित करता है, जिसमें वह अपने आर्थिक और सैन्य हितों का ध्यान रखते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी भूमिका को मजबूती से कायम कर रहा है.