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भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने की संभावना: एसएंडपी ग्लोबल रिपोर्ट

एसएंडपी ग्लोबल की नई रिपोर्ट में भारत की जीडीपी ग्रोथ को इस वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने की उम्मीद जताई गई है। रिपोर्ट में घरेलू मांग, जीएसटी सुधार और आयकर में बदलाव को इसके मुख्य कारण बताया गया है। इसके अलावा, खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट और सरकारी निवेश में वृद्धि से आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी। जानें और क्या कहा गया है इस रिपोर्ट में।
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भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने की संभावना: एसएंडपी ग्लोबल रिपोर्ट

भारत की आर्थिक वृद्धि पर एसएंडपी ग्लोबल की रिपोर्ट

नई दिल्ली: एसएंडपी ग्लोबल द्वारा मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ इस वित्तीय वर्ष में 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मजबूत घरेलू मांग, जीएसटी में सुधार और आयकर में बदलाव इसके मुख्य कारण हैं। मानसून की अच्छी स्थिति, आयकर और जीएसटी में कटौती, और सरकारी निवेश में वृद्धि से घरेलू मांग को मजबूती मिलेगी।


एसएंडपी ग्लोबल की 'क्यू 4 एशिया पैसेफिक इकोनॉमिक आउटलुक' रिपोर्ट के अनुसार, "जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.8 प्रतिशत रही, जो हमारी अपेक्षाओं से बेहतर है।" इसके अलावा, खाद्य मुद्रास्फीति में अपेक्षा से अधिक गिरावट के चलते इस वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 3.2 प्रतिशत तक घटा दिया गया है। इससे मौद्रिक नीति में बदलाव की संभावना बनती है, और उम्मीद है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) इस वित्त वर्ष में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा।


एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में भारत में निवेश में तेजी आई है, जो मुख्यतः सरकारी निवेश से प्रेरित है। उभरते बाजारों में घरेलू मांग भी मजबूत बनी हुई है। चीन के संदर्भ में, अमेरिका को शिपमेंट में गिरावट के बावजूद, अगस्त में इसके कुल निर्यात में इस गिरावट का बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है, "हमें लगता है कि अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि और धीमी वैश्विक वृद्धि के कारण आने वाले महीनों में निर्यात में कमी आएगी।"


चीन में घरेलू मांग की शुरुआत अच्छी रही, लेकिन उपभोग और निवेश में गिरावट आई है। घरों की बिक्री में लगातार कमी से हाउसिंग निवेश और उपभोक्ता विश्वास में कमी आई है, जिससे खपत प्रभावित हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है, "हमें उम्मीद है कि कमजोर निर्यात के कारण घरेलू मांग में गिरावट और सीमित मैक्रो प्रोत्साहन के चलते 2025 और 2026 की दूसरी छमाही में चीन की अर्थव्यवस्था सालाना आधार पर लगभग 4 प्रतिशत की दर से धीमी रहेगी।"