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भारत की नई ईवी नीति: क्या 15% आयात शुल्क से बदलेगा इलेक्ट्रिक कारों का बाजार?

भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए एक नई ईवी नीति की घोषणा की है, जिसमें विदेशी कंपनियों को 15% आयात शुल्क पर इलेक्ट्रिक कारें लाने की अनुमति दी जाएगी। इस नीति के तहत कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की शर्त भी रखी गई है। जानें इस नीति के विभिन्न पहलुओं और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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भारत की नई ईवी नीति: क्या 15% आयात शुल्क से बदलेगा इलेक्ट्रिक कारों का बाजार?

नई ईवी नीति का परिचय

भारत सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए एक नई और महत्वाकांक्षी नीति की घोषणा की है। इस नीति के तहत विदेशी कंपनियों को भारत में इलेक्ट्रिक कारों के आयात पर राहत दी जाएगी।


आयात शुल्क में कमी

पहले 70-100% के भारी आयात शुल्क का सामना करने वाली कंपनियों को अब केवल 15% शुल्क पर अपनी गाड़ियां लाने की अनुमति होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। यह नीति न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को बढ़ावा देगी, बल्कि वैश्विक ब्रांड्स के साथ स्थानीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा को भी नया आयाम देगी।


विदेशी कंपनियों के लिए अवसर

नई ईवी नीति के तहत, विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने का बड़ा अवसर मिलेगा। जो कंपनियां कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी, उन्हें हर साल 8,000 इलेक्ट्रिक कारें केवल 15% आयात शुल्क पर लाने की अनुमति होगी। यह छूट केवल 30 लाख रुपये या उससे अधिक कीमत वाली कारों पर लागू होगी।


भारत में उत्पादन को बढ़ावा

इस नीति की एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि कंपनियों को तीन साल के भीतर भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करनी होगी। यह कदम भारत को इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


राजस्व लक्ष्य और दंड

नई ईवी नीति में कंपनियों के लिए सख्त राजस्व लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। चौथे वर्ष में कंपनियों को 5,000 करोड़ रुपये और पांचवें वर्ष में 7,500 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व प्राप्त करना होगा। यदि कंपनियां इन लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पातीं, तो उन्हें राजस्व अंतर पर 3% तक दंड देना पड़ सकता है।


स्थानीय कंपनियों पर प्रभाव

इस नीति से भारत की स्थानीय इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों जैसे टाटा और महिंद्रा के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। विदेशी ब्रांड्स के आने से तकनीक, डिजाइन, और कीमत में नया मुकाबला देखने को मिलेगा।


टेस्ला की अनिच्छा और अन्य ब्रांड्स की रुचि

केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने बताया कि टेस्ला भारत में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करने में रुचि नहीं दिखा रही है। हालांकि, टेस्ला भारत में अपनी गाड़ियां बेचने की योजना बना रही है। दूसरी ओर, मर्सिडीज बेंज, स्कोडा-फॉक्सवैगन, हुंडई, और किआ ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण के लिए उत्साह दिखाया है।