भारत की नई रणनीति: दक्षिण चीन सागर में बढ़ता प्रभाव

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की नई पहल
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र: भारत दक्षिण चीन सागर में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई है जब नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके त्रिपाठी जापान की यात्रा पर हैं, जबकि दूसरी ओर, फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर चार दिवसीय दौरे पर भारत आए हैं। ये दोनों घटनाएँ इस बात का संकेत हैं कि भारत अब इस क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
भारत की द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना
हाल के समय में भारत की नीति में बदलाव दर्शाता है कि वह द्विपक्षीय संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है। यह स्पष्ट है कि दक्षिण चीन सागर में क्वाड के बिना भी भारत की गतिविधियाँ जारी रहेंगी। भारत का यह कदम चीन के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है, जो ट्रंप जैसे नेताओं के लिए भी एक सबक साबित हो सकता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक नई कहानी लिखी जा रही है, जिसमें भारत केवल एक सहयोगी नहीं, बल्कि एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
भारत की नई नीति: हिंद-प्रशांत और दक्षिण चीन सागर
भारत हमेशा हिंद-प्रशांत और दक्षिण चीन सागर में आवाजाही की स्वतंत्रता की बात करता रहा है। इसी कारण से, वह यहाँ के देशों के साथ सीधे संवाद कर रहा है। नौसेना प्रमुख का जापान दौरा इस क्षेत्र में भारत की सक्रिय रणनीति को दर्शाता है। जापान और भारत दोनों ही चीन की विस्तारवादी नीतियों से चिंतित हैं, विशेषकर पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में।
फिलीपींस के साथ हथियारों की खरीदारी
फिलीपींस के राष्ट्रपति मार्कोस जूनियर की यात्रा कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इस दौरान, फिलीपींस के सशस्त्र बलों के प्रमुख ने भारत में निर्मित हथियारों की गुणवत्ता की सराहना की और कहा कि वे भारत से और हथियार खरीदने पर विचार कर रहे हैं। दोनों देश दक्षिण चीन सागर में भारत की उपस्थिति को लेकर बातचीत कर रहे हैं।
क्वाड पर निर्भरता में कमी
पिछले कुछ वर्षों में, भारत क्वाड का एक सक्रिय सदस्य रहा है, जो अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत का एक गठबंधन है। यह गठबंधन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को चुनौती देने के लिए बनाया गया था। लेकिन हालिया घटनाक्रमों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब द्विपक्षीय वार्ता पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है।