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भारत की पहली बुलेट ट्रेन: मुंबई से अहमदाबाद के बीच हाई-स्पीड यात्रा की शुरुआत

केंद्र सरकार भारत की पहली बुलेट ट्रेन को मुंबई से अहमदाबाद के बीच शुरू करने की योजना बना रही है। यह हाई-स्पीड ट्रेन सेवा यात्रियों के लिए यात्रा के समय को घटाएगी और देश में रेलवे अवसंरचना में एक नया अध्याय जोड़ेगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह ट्रेन केवल दो घंटे सात मिनट में यात्रा पूरी करेगी, जिससे लाखों यात्रियों को लाभ होगा। इस परियोजना में समुद्र के नीचे सुरंग भी शामिल है, जो इसे तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण बनाती है। जानें इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के बारे में और क्या-क्या विशेषताएँ हैं।
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बुलेट ट्रेन का ऐतिहासिक कदम

देश के यात्री रेल नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की ओर बढ़ते हुए, केंद्र सरकार जल्द ही भारत की पहली बुलेट ट्रेन को जनता के लिए उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। यह हाई-स्पीड ट्रेन सेवा मुंबई और अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित है, जिससे यात्रियों का सफर समय में काफी कमी आएगी और देश में आधुनिक रेलवे अवसंरचना का नया युग शुरू होगा।


रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि बुलेट ट्रेन का संचालन निकट भविष्य में शुरू होगा, जिससे दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय केवल दो घंटे सात मिनट रह जाएगा। यह नई सुविधा उन लाखों यात्रियों के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगी, जो अब तक सड़क या पारंपरिक ट्रेनों से यात्रा में छह से सात घंटे का समय लगाते थे।


यह हाई-स्पीड रेल परियोजना न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगी, बल्कि इससे आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी। 508 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर में कुल 12 स्टेशन होंगे, जो मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) से शुरू होकर अहमदाबाद के साबरमती स्टेशन तक फैले होंगे। थाणे, वडोदरा, सूरत और वापी जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ते हुए यह ट्रेन पश्चिमी भारत में यातायात को नया आयाम देगी।


इस परियोजना की एक खास बात यह है कि इसमें भारत की पहली समुद्र के नीचे बनने वाली सुरंग भी शामिल है, जो ठाणे क्रीक के नीचे लगभग 7 किलोमीटर लंबी होगी। कुल मिलाकर, इस प्रोजेक्ट में 21 किलोमीटर लंबी सुरंगें शामिल होंगी, जो इसे तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण और अत्याधुनिक बनाती हैं।


रेलवे मंत्रालय का दावा है कि बुलेट ट्रेन का पहला खंड बिलिमोरा से सूरत तक अगस्त 2026 तक परिचालन के लिए तैयार हो जाएगा। इसके अलावा, इस कॉरिडोर पर जे-स्लैब बैलस्टलेस ट्रैक तकनीक का पहली बार उपयोग किया जा रहा है, जो भविष्य में भारत की अन्य हाई-स्पीड रेल परियोजनाओं के लिए मानक बन सकता है।


रेल मंत्री ने भावनगर टर्मिनस से अन्य ट्रेनों को हरी झंडी दिखाते समय यह जानकारी साझा की। इस अवसर पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे, जो यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार रेलवे के विस्तार को राष्ट्रीय विकास के एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानती है।