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भारत की बीएसएफ की 18वीं टुकड़ी कांगो के लिए रवाना

भारत की सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 18वीं टुकड़ी, जो 4 जून 2025 को कांगो के बेनी शहर के लिए रवाना होगी, में 160 जवान शामिल हैं। इस टुकड़ी में महिला कांस्टेबल और चिकित्सा अधिकारी भी हैं, जो बीएसएफ की महिला सशक्तिकरण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। विदाई समारोह में वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में इस टुकड़ी को सम्मानित किया गया। यह टुकड़ी संयुक्त राष्ट्र मिशन के लिए 11 सप्ताह का कठिन प्रशिक्षण पूरा कर चुकी है। भारत का यह योगदान वैश्विक शांति और सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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भारत की बीएसएफ की 18वीं टुकड़ी कांगो के लिए रवाना

बीएसएफ की नई टुकड़ी का कांगो में मिशन

भारत की सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 18वीं टुकड़ी, जो कमांडेंट कैलाश सिंह मेहता के नेतृत्व में है, 4 जून 2025 को कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के बेनी शहर के लिए रवाना होगी। इस टुकड़ी में कुल 160 जवान शामिल हैं, जिनमें 7 अधिकारी, 9 सब-ऑर्डिनेट ऑफिसर और 144 अन्य रैंक के जवान शामिल हैं। खास बात यह है कि इसमें एक महिला चिकित्सा अधिकारी और 24 महिला कांस्टेबल भी हैं, जो बीएसएफ की महिला सशक्तिकरण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.


विदाई समारोह का आयोजन

नई दिल्ली स्थित बीएसएफ मुख्यालय में एक भव्य समारोह में इस टुकड़ी को विदाई दी गई। इस अवसर पर बीएसएफ के डीजी दलजीत सिंह चौधरी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। यह टुकड़ी बेनी में तैनात 17वीं बीएसएफ टुकड़ी का स्थान लेगी, जो 4 जून को भारत लौट रही है। 18वीं टुकड़ी ने संयुक्त राष्ट्र मिशन के लिए 11 सप्ताह का कठिन पूर्व-प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है.


प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण विषयों का समावेश

इस प्रशिक्षण अवधि में संयुक्त राष्ट्र के मानकों और दिशा-निर्देशों के अनुसार मानवाधिकार, यौन और लिंग आधारित हिंसा (एसजीबीवी), सार्वजनिक व्यवस्था प्रबंधन, वीआईपी सुरक्षा, महिला और बाल अधिकारों की रक्षा, और संयुक्त राष्ट्र प्रतिष्ठानों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान दिया गया है.


भारत का वैश्विक योगदान

भारत का संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में योगदान हमेशा से सराहा गया है। बीएसएफ की 18वीं टुकड़ी इस गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी। यह तैनाती भारत की वैश्विक शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। कांगो में यह टुकड़ी न केवल भारत का प्रतिनिधित्व करेगी, बल्कि शांति स्थापना के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर कार्य करेगी। यह मिशन भारत की बढ़ती वैश्विक जिम्मेदारी और शांति प्रयासों में योगदान को और मजबूत करता है.