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भारत की रंग बदलने वाली झीलें: प्रकृति की अद्भुत कृतियाँ

भारत की रंग बदलने वाली झीलें प्रकृति की अद्भुत कृतियाँ हैं, जो मौसम के अनुसार अपने रंग बदलती हैं। पैंगोंग त्सो, लोनार और त्सोमगो जैसी झीलें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। जानें इन झीलों की विशेषताओं और उनके रंग बदलने के कारणों के बारे में।
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भारत की रंग बदलने वाली झीलें: प्रकृति की अद्भुत कृतियाँ

रंग बदलने वाली झीलों की अद्भुतता

रंग बदलने वाली झीलें: भारत की प्राकृतिक सुंदरता की प्रशंसा करना कभी भी पर्याप्त नहीं होता। यहाँ की झीलें अपनी खूबसूरती के लिए देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। कई झीलें मौसम के अनुसार अपना रंग बदलती हैं, जो उन्हें और भी आकर्षक बनाता है। इन झीलों का रंग बदलना तापमान, पानी में मौजूद खनिज, शैवाल और सूर्य की रोशनी जैसे कारकों पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं कुछ खास झीलों के बारे में।


पैंगोंग त्सो झील
लद्दाख में लगभग 14,270 फीट की ऊँचाई पर स्थित पैंगोंग त्सो झील भारत की सबसे प्रसिद्ध रंग बदलने वाली झील मानी जाती है। यह झील भारत से तिब्बत तक फैली हुई है और अपने खूबसूरत नीले पानी के लिए जानी जाती है। यह दिन के समय में कई रंगों में बदलती है, सुबह हल्के टरक्वॉइज़ से लेकर शाम को गहरे नीले रंग तक। इसका रंग सूर्य की रोशनी, पानी में मौजूद खनिजों और झील की साफ ग्लेशियर जैसी सतह के कारण बदलता है। शायद इसी कारण इसे 'प्रकृति की मूड रिंग' भी कहा जाता है।


लोनार झील
महाराष्ट्र की लोनार झील लगभग 50,000 साल पहले एक उल्कापिंड के टकराने से बनी थी। यह झील अपने रंग बदलने की खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, कभी यह हरे-नीले तो कभी गुलाबी रंग में नजर आती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि झील के पानी की क्षारीयता में बदलाव और कुछ विशेष प्रकार के सूक्ष्मजीवों और शैवाल के बढ़ने से इसका रंग बदलता है। लोनार झील घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है, जब मौसम ठंडा और सुखद रहता है।


त्सोमगो झील
सिक्किम की त्सोमगो या चांगू झील मौसम के अनुसार अपना रंग बदलने के लिए जानी जाती है। सर्दियों में यह बर्फ से ढक जाती है, वसंत में नीले-हरे रंग में चमकती है और गर्मियों में आसपास की हरियाली को खूबसूरती से प्रदर्शित करती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसके रंग देवताओं के मूड के अनुसार बदलते हैं, जो इसे और भी रहस्यमय और आकर्षक बनाता है।