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भारत की रूस से तेल खरीदारी: अमेरिका की चेतावनियों का जवाब

भारत ने अमेरिका की चेतावनियों के बावजूद रूस से रिकॉर्ड मात्रा में तेल खरीदना जारी रखा है। अगस्त में भारत ने 2.9 बिलियन यूरो का तेल खरीदा, जो चीन के करीब है। इस बीच, यूक्रेन के ड्रोन हमलों ने रूस की रिफाइनरियों को प्रभावित किया है, लेकिन भारत ने इस स्थिति का लाभ उठाया है। जानें इस व्यापार का क्या असर हो रहा है और रूस की प्रतिक्रिया क्या है।
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भारत की रूस से तेल खरीदारी: अमेरिका की चेतावनियों का जवाब

भारत की तेल खरीदारी पर अमेरिका की चेतावनी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को टैरिफ के संबंध में चेतावनी दी थी और इसके बाद भारत पर टैरिफ भी लगाया गया। लेकिन अब भारत ने रूस से तेल खरीदने के जरिए इसका जवाब दिया है। भारत ने रिकॉर्ड स्तर पर रूस से तेल खरीदना जारी रखा है, और अगस्त में उसने जुलाई की तुलना में अधिक तेल खरीदा है। इस बीच, चीन भी रूस से तेल खरीदने में पीछे नहीं रहा, हालांकि उसने अगस्त में जुलाई के मुकाबले थोड़ी कमी की।


भारत का रिकॉर्ड तेल आयात

अगस्त में भारत ने रूस से 2.9 बिलियन यूरो (लगभग 3.5 अरब डॉलर) का तेल खरीदा, जो चीन के 3.1 बिलियन यूरो (3.64 अरब डॉलर) के करीब है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का तेल आयात जुलाई में 2.7 बिलियन यूरो था, जो अगस्त में बढ़कर 2.9 बिलियन यूरो हो गया। जबकि चीन का तेल आयात जुलाई में 4.1 बिलियन यूरो था, जो अगस्त में घटकर 3.1 बिलियन यूरो हो गया। भारत ने 50 प्रतिशत टैरिफ के बावजूद रिकॉर्ड स्तर पर तेल खरीदा है।


रूस की रिफाइनरियों पर ड्रोन हमले

यूक्रेन के ड्रोन हमलों ने रूसी तेल रिफाइनरियों को प्रभावित किया है, लेकिन भारत ने इस संकट को एक अवसर में बदल दिया है। रूसी और मध्य पूर्वी तेल की कीमतों में भारी अंतर ने भारतीय रिफाइनरियों को आकर्षित किया है। यूक्रेन ने अगस्त 2025 में अपने सबसे बड़े ड्रोन हमले किए, जिससे रूस की रिफाइनिंग क्षमता में कमी आई। इन हमलों ने रूस के ऊर्जा वितरण नेटवर्क की कमजोरियों को उजागर किया है।


रूस की प्रतिक्रिया

रूस ने अपने कच्चे तेल के निर्यात में प्रतिदिन 2,00,000 बैरल की वृद्धि करके इन हमलों का जवाब दिया है। हालांकि, इस रणनीति से अल्पकालिक समाधान तो मिले हैं, लेकिन घरेलू ईंधन की आपूर्ति में कमी आई है, जिससे रूस के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो गई हैं।