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भारत की विदेश नीति पर अमेरिका का दबाव: लुटनिक की चेतावनी

हाल ही में, अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने भारत को चेतावनी दी है कि उसे रूस से हथियार खरीदने और ब्रिक्स सदस्यता के कारण अमेरिका की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने भारत से अपनी विदेश नीति में बदलाव लाने का आग्रह किया है, साथ ही अर्थव्यवस्था को उपभोग केंद्रित बनाने की सलाह दी है। क्या भारत लुटनिक के सुझावों को स्वीकार करेगा? इसके संकेत अगले महीने होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में देखने को मिल सकते हैं।
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भारत की विदेश नीति पर अमेरिका का दबाव: लुटनिक की चेतावनी

भारत को बदलनी होगी अपनी राह

लुटनिक ने स्पष्ट किया कि भारत ने रूस से हथियार खरीदकर अमेरिका को नाराज किया है। इसके साथ ही, वह ब्रिक्स का सदस्य भी है, जिसका उद्देश्य डॉलर को चुनौती देना है। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर भारत को अपनी नीति में बदलाव लाना होगा।


यह पहले से ही स्पष्ट था कि डॉनल्ड ट्रंप का टैरिफ युद्ध केवल आयात शुल्क में छूट पाने के लिए नहीं है। इसके पीछे एक बड़ा उद्देश्य है, जिसमें विश्व व्यापार और भू-राजनीति को अमेरिकी हितों के अनुसार पुनर्गठित करना शामिल है। इस संदर्भ में, उनके वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने कूटनीतिक सीमाओं को पार करते हुए भारत के लिए स्पष्ट शर्तें रखीं। यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक फोरम में बोलते हुए, लुटनिक ने कहा कि भारत को रूस से हथियार खरीदने के कारण अमेरिका की नाराजगी का सामना करना पड़ा है।


उन्होंने दोहराया कि इन दोनों मामलों में भारत को अपनी दिशा बदलनी होगी। इसके अलावा, उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को और अधिक उपभोग केंद्रित बनाना चाहिए, यानी निवेश के पीछे भागने के बजाय। विदेश नीति और आर्थिक दिशा तय करना देशों का संप्रभु अधिकार है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने कई देशों को अपनी नीति बताने में कोई संकोच नहीं किया है।


हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारत के लिए सबसे उपयोगी हथियार ब्रह्मोस मिसाइलें और एस-400 इंटरसेप्टर थे, जो रूस से जुड़े हैं। भारत को अब लड़ाकू विमानों का चयन करना है, जिसमें अमेरिका का एफ-35 और रूस का सुखोई-57 शामिल हैं। रूस अपने विमान की तकनीक ट्रांसफर करने को तैयार है, जबकि अमेरिका ऐसा नहीं करता।


एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भारत ग्लोबल साउथ का हिस्सा है, और ब्रिक्स इस क्षेत्र में समन्वय का एक प्रभावी मंच है। क्या भारत के लिए ब्रिक्स से अलग होना फायदेमंद होगा? उपभोग केंद्रितता के संदर्भ में, यह माना जाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पहले से ही इसका प्रचुरता है। क्या भारत लुटनिक के सुझाव को स्वीकार करेगा? इसके संकेत हमें लड़ाकू विमानों के चयन और अगले महीने होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मिलेंगे।