भारत की विदेश नीति में बदलाव: जयशंकर का बयान

भारत की विदेश नीति की नई दिशा
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अपने 11 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया है। इस अवसर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की बदलती विदेश नीति और वैश्विक छवि पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में भारत ने अपनी विदेश नीति को न केवल मजबूत किया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को भी प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया है। जयशंकर ने कहा कि भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में हमेशा सहजता की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि, "पड़ोसी देशों को यह समझना होगा कि भारत के साथ सहयोग करने से लाभ होगा, जबकि विरोध करने पर उन्हें कीमत चुकानी पड़ेगी।"
उन्होंने विशेष रूप से पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए कहा, "कुछ देशों को जल्दी समझ आती है, जबकि कुछ को नहीं। पाकिस्तान इसका एक उदाहरण है, जहां शत्रुता और सैन्य सोच ने उसकी पहचान को प्रभावित किया है।" जयशंकर ने कहा कि अगर पाकिस्तान को छोड़ दिया जाए, तो भारत की नीति अन्य देशों पर प्रभावी ढंग से लागू होती है।
अमेरिका और चीन के साथ संबंधों पर जयशंकर का दृष्टिकोण: जब एक रणनीतिक विशेषज्ञ ने अमेरिका और चीन के साथ संबंधों के बारे में सवाल किया, तो विदेश मंत्री ने कहा, "अमेरिका के साथ कुछ अनिश्चितताएं हैं, लेकिन भारत ने विभिन्न स्तरों पर संबंध स्थापित कर स्थिरता लाने की कोशिश की है।" उन्होंने चीन के संदर्भ में कहा कि भारत-चीन सीमा पर तनावपूर्ण स्थितियां बनी हुई हैं, विशेष रूप से 2020 की गलवान घाटी की झड़प को याद करते हुए। उन्होंने कहा, "चीन का सामना करने के लिए भारत को अपनी क्षमताओं को बढ़ाना होगा।"
जयशंकर ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश नीति को एक नई दिशा दी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ईरान-इज़राइल संघर्ष के दौरान 'ऑपरेशन सिंधु' और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच 'ऑपरेशन गंगा' जैसे कठिन मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
विदेश मंत्री ने मालदीव और श्रीलंका के संबंधों का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार में बदलाव के बावजूद भारत ने अपने संबंधों को स्थिर रखा है। उन्होंने नेपाल के साथ संबंधों में भारत की संयम और समझदारी को भी रेखांकित किया।
जयशंकर ने 26/11 मुंबई हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि पहले भारत की नीति पाकिस्तान के प्रति नरम थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे पूरी तरह बदल दिया है। उन्होंने उरी सर्जिकल स्ट्राइक (2016), बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019) और हाल ही में ऑपरेशन सिंधु का उल्लेख करते हुए कहा, "अब भारत की नीति है – हम पहले नहीं छेड़ेंगे, लेकिन अगर छेड़ा गया तो फिर छोड़ेंगे नहीं।"
बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों में भारत ने आसियान देशों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और खाड़ी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत और विश्वसनीय बनाया है।