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भारत की वैश्विक भूमिका: मतदान में कमी और नेतृत्व की चुनौती

भारत की संयुक्त राष्ट्र में मतदान में कमी और प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। क्या भारत वास्तव में ग्लोबल साउथ का नेतृत्व कर सकता है? इस लेख में भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान और उसके प्रभाव पर चर्चा की गई है। क्या मोदी सरकार को अपने दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता है? जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
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भारत की वैश्विक भूमिका: मतदान में कमी और नेतृत्व की चुनौती

भारत की मतदान में कमी

2019 के बाद से भारत ने संयुक्त राष्ट्र में मतदान से बाहर रहने की जो स्थिति अपनाई है, वह पहले कभी नहीं देखी गई। यदि मोदी सरकार वास्तव में ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करना चाहती है, तो उसे अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना होगा।


प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राएँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक और विदेश यात्रा की घोषणा की गई है। इस बार वह मालदीव और ब्रिटेन की यात्रा करेंगे। यदि वह शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में शामिल होने का निर्णय लेते हैं, तो अगले महीने उनकी चीन यात्रा भी संभव है। हाल ही में, मोदी ने कनाडा में जी-7 (विशेष आमंत्रित के रूप में) और ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया। सरकार के समर्थक इन यात्राओं को भारत की सक्रिय विदेश नीति का संकेत मानते हैं।


ग्लोबल साउथ में भारत की भूमिका

सरकार का दावा है कि मोदी की सक्रिय विदेश नीति के कारण भारत ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) का नेता बनकर उभरा है। उनके अनुसार, भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ग्लोबल साउथ की ‘आवाज’ बन चुका है।


भारत की पहचान और मतदान का महत्व

भारत एकमात्र ऐसा देश है, जो ग्लोबल साउथ और विकसित देशों के बीच पुल का काम कर सकता है। हालांकि, यह विचारणीय है कि भारत की ‘आवाज’ क्या है, जो उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विशिष्ट पहचान देती है। ‘आवाज’ का अर्थ स्पष्टता, दृढ़ता और साहस से है।


संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थिति

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र में भारत की ‘आवाज’ धुंधली प्रतीत होती है। एक अंग्रेजी समाचार पत्र के अनुसार, 1955 से 2025 तक भारत के मतदान का अध्ययन यह दर्शाता है कि 2019 के बाद से भारत ने मतदान में भाग न लेने का निर्णय जितनी बार लिया, उतना पहले कभी नहीं हुआ। इस दौरान, हर वर्ष 44 प्रतिशत मौकों पर भारत मतदान से बाहर रहा। क्या इस प्रवृत्ति के साथ भारत मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकता है? यदि मोदी सरकार वास्तव में नेतृत्व करना चाहती है, तो उसे इस दृष्टिकोण को बदलना होगा।