भारत की वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका और सुरक्षा परिषद में नेतृत्व
भारत और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद: एक महत्वपूर्ण साझेदारी
जब हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बात करते हैं, तो अक्सर आंतरिक राजनीति, विकास और जनसंख्या के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत वैश्विक राजनीति में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है? विशेष रूप से जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेने वाले प्रमुख मंचों की बात आती है, तो भारत की उपस्थिति और नेतृत्व अक्सर चर्चा से बाहर रह जाते हैं। एक ऐसी संस्था है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), जिसमें भारत का योगदान केवल सदस्यता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नेतृत्व में भी स्पष्ट है।UNSC की संरचना 15 देशों पर आधारित है, जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। अस्थायी सदस्य देशों को अपनी दो वर्षीय सदस्यता के दौरान परिषद की अध्यक्षता करने का अवसर मिलता है, और यह बारी-बारी से हर महीने होता है। भारत, जो कई बार अस्थायी सदस्य रह चुका है, ने समय-समय पर इस वैश्विक मंच की अगुवाई की है।
भारत अब तक आठ बार UNSC का अस्थायी सदस्य रह चुका है, जिनमें 1950-51, 1967-68, 1972-73, 1977-78, 1984-85, 1991-92, 2011-12 और 2021-22 शामिल हैं। हर कार्यकाल के दौरान भारत को कम से कम एक बार अध्यक्षता का अवसर मिला है। इस भूमिका में भारत ने न केवल शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत किए, बल्कि कई बार बहस की दिशा भी निर्धारित की।
भारत की अध्यक्षता के दौरान केवल औपचारिक बैठकें नहीं हुईं, बल्कि उन मुद्दों पर भी चर्चा हुई जो आम जनता की ज़िंदगी को प्रभावित करते हैं, जैसे आतंकवाद, नस्लभेद, युद्ध और क्षेत्रीय अस्थिरता। 2011 में, जब भारत ने अगस्त में अध्यक्षता की, तब वैश्विक आतंकवाद और मध्य पूर्व की अनिश्चितता जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद अब केवल किसी एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए खतरा बन चुका है और इसके खिलाफ दुनिया को मिलकर निर्णायक कदम उठाने होंगे।
अगस्त 2021 में, भारत ने फिर से अध्यक्षता संभाली, लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ। पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने स्वयं सुरक्षा परिषद की खुली बैठक की अध्यक्षता की। यह न केवल भारत की बढ़ती कूटनीतिक उपस्थिति का संकेत था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब केवल दर्शक नहीं, बल्कि एक निर्णायक भूमिका में है।