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भारत की सुरक्षा में नया अध्याय: ऑपरेशन सिंदूर की सफलता

पहलागाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले के बाद, भारतीय सेना ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत की। इस ऑपरेशन में ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का उपयोग करते हुए पाकिस्तान के ठिकानों को निशाना बनाया गया। जानें कैसे इस ऑपरेशन ने न केवल दुश्मनों को झकझोर दिया, बल्कि भारत की रक्षा क्षमताओं को भी नई ऊँचाई पर पहुंचा दिया।
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घातक हमले के बाद की प्रतिक्रिया

पहलागाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश में गहरा सदमा पहुंचाया। इस क्रूर घटना ने न केवल निर्दोष पर्यटकों के सपनों को चूर-चूर किया, बल्कि भारत के धैर्य को भी चुनौती दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों को समाप्त करने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। 22 अप्रैल की उस रात के बाद, भारतीय सशस्त्र बलों ने बिना किसी देरी के 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत की।


इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने अद्वितीय समन्वय और रणनीति का प्रदर्शन किया, जिससे सभी हैरान रह गए। पाकिस्तान और पीओके में छिपे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाया गया, जिससे दुश्मन की नींव हिल गई। भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तानी सेना के मिसाइल और ड्रोन हमलों को नाकाम कर दिया। इसके बाद, भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स ने पाकिस्तान के 11 एयरबेसों को नष्ट कर दिया।


इस सफलता की कुंजी ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल थी, जो न केवल तेज है बल्कि अत्यधिक प्रभावी भी। इसके हमलों ने दुश्मन के हौसले को तोड़ा और शांति की आवश्यकता को उजागर किया। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) इस मिसाइल को और भी घातक बनाने के लिए प्रयासरत है। ब्रह्मोस-एनजी, जो हल्का और अधिक रेंज वाला होगा, 800 किलोमीटर की दूरी पर भी दुश्मन के बड़े शहरों को निशाना बना सकेगा।


सुखोई Su-30MKI फाइटर जेट्स पर तैनात यह मिसाइल भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊँचाई पर ले जाएगी और दुश्मनों के मनोबल को तोड़ देगी। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने न केवल पाकिस्तान को झकझोर दिया, बल्कि चीन को भी चेतावनी दी है। यह संघर्ष केवल भूमि का नहीं, बल्कि तकनीक और साहस का भी है। भारत का आकाश अब और मजबूत है, और उसकी फाइटर जेट्स और मिसाइलें उसकी शक्ति का प्रतीक हैं। ब्रह्मोस की गर्जना ने स्पष्ट कर दिया है कि देश की सीमाओं पर आतंकवाद या आक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत की तकनीक और सेना अब सबसे बड़ा सुरक्षा कवच बनकर खड़ी है।