भारत के 10 सबसे मजबूत अंतरराष्ट्रीय साथी: वैश्विक ताकत में बढ़ती पहचान

भारत की वैश्विक पहचान: सैन्य से आगे
नई दिल्ली. भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा अब केवल उसकी सैन्य शक्ति या तकनीकी प्रगति पर निर्भर नहीं है, बल्कि यह उसके मजबूत और विश्वसनीय वैश्विक संबंधों से भी निर्धारित होती है। वर्तमान में, जब दुनिया बहुपरकारी संबंधों की नई परिभाषा गढ़ रही है, भारत के साथ कुछ देश हर मंच पर उसके साथ खड़े नजर आते हैं। ये देश न केवल रक्षा और तकनीकी सहयोग में, बल्कि कूटनीति और वैश्विक नीति निर्माण में भी भारत के अटूट साथी हैं।
1. अमेरिका: एक नई रणनीतिक मित्रता
भारत और अमेरिका के संबंध अब केवल सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं रह गए हैं। यह दो लोकतांत्रिक देशों के बीच साझी सोच और समान हितों पर आधारित एक मजबूत साझेदारी बन चुकी है। क्वाड जैसे बहुपरकारी मंच, 2+2 संवाद, और इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढांचे ने इस रिश्ते को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। अमेरिका अब भारत को एशिया में एक संतुलनकारी शक्ति मानता है और तकनीकी हस्तांतरण से लेकर खुफिया जानकारी साझा करने तक हर क्षेत्र में सहयोग कर रहा है।
2. रूस: विश्वास का एक पुराना रिश्ता
भारत और रूस की मित्रता केवल दशकों पुरानी नहीं है, बल्कि यह पीढ़ियों से चली आ रही है। S-400 मिसाइल प्रणाली से लेकर ब्रह्मोस प्रोजेक्ट तक, रूस ने हर कठिन समय में भारत का साथ दिया है। यूक्रेन युद्ध जैसे संकटों के बावजूद, दोनों देशों के संबंधों में कोई कमी नहीं आई है। रक्षा, ऊर्जा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के हर क्षेत्र में रूस भारत का सबसे विश्वसनीय सहयोगी बना हुआ है।
3. फ्रांस: रणनीति और संस्कृति का संगम
राफेल सौदा हो या अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा में सहयोग, फ्रांस भारत के लिए एक बहुआयामी रणनीतिक साझेदार साबित हुआ है। इसके साथ ही, भारत और फ्रांस के बीच सांस्कृतिक संबंध भी गहरे हैं, जो पेरिस से पुदुचेरी तक फैले हुए हैं। फ्रांस ने कश्मीर और आतंकवादी हमलों पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का समर्थन कर यह साबित किया है कि वह केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक रूप से भी एक सच्चा मित्र है।
4. जापान: विकास का स्थायी साथी
जापान के बिना भारत के बुनियादी ढांचे के विकास की कहानी अधूरी है। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन, और कई अन्य मेगाप्रोजेक्ट्स में जापानी निवेश महत्वपूर्ण साबित हुआ है। लोकतांत्रिक मूल्यों और स्थिरता की सोच ने दोनों देशों को दीर्घकालिक साझेदार बना दिया है। जापान भारत को एशिया में स्थिरता का प्रतीक मानता है।
5. ऑस्ट्रेलिया: इंडो-पैसिफिक का भरोसा
कभी क्रिकेट के मैदान तक सीमित संबंध अब सामरिक रणनीति तक पहुंच गया है। क्वाड के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया और भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा में मिलकर काम कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया द्वारा भारत को यूरेनियम आपूर्ति और शिक्षा विनिमय कार्यक्रम ने दोनों देशों के संबंधों को और गहरा बना दिया है।
6. इज़रायल: चुपचाप लेकिन प्रभावी
इज़रायल और भारत की मित्रता दिखावे से परे है, लेकिन इसकी गहराई असाधारण है। रक्षा तकनीक, एंटी-ड्रोन सिस्टम, और कृषि नवाचार में इज़रायल ने भारत को मजबूती प्रदान की है। दोनों देशों की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति ने उनकी रणनीतिक एकजुटता को और मजबूत किया है। इज़रायल की तकनीक ने भारत में कृषि क्रांति को भी गति दी है।
7. सऊदी अरब: ऊर्जा से आगे, रणनीति तक
कभी केवल तेल का स्रोत माने जाने वाला सऊदी अरब, आज भारत का एक प्रमुख रणनीतिक निवेशक बन चुका है। 100 अरब डॉलर तक के संभावित निवेश, धार्मिक संतुलन और खाड़ी क्षेत्र में भारत की भूमिका को सऊदी अरब ने विशेष महत्व दिया है। भारत में मुसलमानों के प्रति सऊदी की तटस्थता ने इस रिश्ते को नई विश्वसनीयता दी है।
और वो चौंकाने वाला 10वां नाम?
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वियतनाम अब भारत के लिए तेजी से उभरता हुआ सामरिक साथी बन गया है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दखलअंदाजी के बीच, वियतनाम ने भारत को क्षेत्रीय संतुलन के रूप में देखना शुरू किया है। रक्षा सहयोग से लेकर नौसैनिक अभ्यास तक, यह रिश्ता अब नया मोड़ ले रहा है। आज भारत उन संबंधों का नेतृत्व कर रहा है जो केवल कागज़ों पर नहीं, बल्कि वास्तविकता में प्रभाव डालते हैं। ये 10 देश केवल मित्र नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक ढाल बन चुके हैं। यही है भारत की असली वैश्विक ताकत।