भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: राजनीतिक हलचल और चुनावी तैयारी

धनखड़ का अचानक इस्तीफा
संसद के मानसून सत्र के आरंभ में, भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। यह अप्रत्याशित निर्णय राजनीतिक हलचल का कारण बन गया है। धनखड़ का कार्यकाल 11 अगस्त 2027 तक था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने समय से पहले ही त्यागपत्र दे दिया। उनके इस्तीफे ने विपक्ष और सत्ताधारी दल दोनों को प्रभावित किया है, जिससे राजनीतिक चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
राष्ट्रपति ने स्वीकार किया इस्तीफा
धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा, जिसे मंगलवार को स्वीकार कर लिया गया। इस प्रकार, उनका कार्यकाल औपचारिक रूप से समाप्त हो गया। हालांकि, स्वास्थ्य कारणों को इस्तीफे का आधार बताया गया है, लेकिन विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषक इसे राजनीतिक घटनाक्रम से जोड़कर देख रहे हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति को मिलने वाली सुविधाएं
रिपोर्टों के अनुसार, इस्तीफा देने के बाद भी धनखड़ को पेंशन और अन्य सुविधाएं मिलती रहेंगी। नियमों के अनुसार, यदि कोई उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दो वर्ष से अधिक समय तक कार्यरत रहा हो, तो वह पद छोड़ने के बाद पेंशन का हकदार होता है। वर्तमान में, उपराष्ट्रपति का वार्षिक वेतन 48 लाख रुपये है, जिससे उन्हें लगभग ₹2 लाख मासिक पेंशन मिल सकती है।
धनखड़ को टाइप VIII सरकारी बंगला आवंटित किया जाएगा, और वे मुफ्त हवाई और रेल यात्रा का लाभ भी उठा सकेंगे। स्वास्थ्य सेवाओं के तहत एक निजी चिकित्सक भी उपलब्ध होगा। इसके अलावा, उन्हें दो निजी सहायक और उनकी पत्नी के लिए एक निजी सचिव भी मिलेगा। पूर्व उपराष्ट्रपतियों के बिजली और पानी के बिल भी सरकार द्वारा भरे जाते हैं, साथ ही फर्नीचर, उपकरण और मोबाइल फोन जैसी अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।
चुनाव आयोग की तैयारी
धनखड़ के इस्तीफे के बाद, भारत के चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। आयोग ने एक बयान में कहा है कि जल्द ही चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। चुनाव की तैयारियों में निर्वाचक मंडल का गठन शामिल है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्य शामिल होंगे।
इसके अतिरिक्त, रिटर्निंग और सहायक रिटर्निंग अधिकारियों को अंतिम रूप दिया जाएगा और पिछले चुनाव से संबंधित सामग्री तैयार की जाएगी ताकि निर्वाचन प्रक्रिया को सुचारू बनाया जा सके। इस चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में गहन रणनीति बनाई जा रही है, क्योंकि उपराष्ट्रपति पद का संवैधानिक महत्व है।