भारत के चीफ जस्टिस ने नागरिक अधिकारों की जागरूकता पर जोर दिया

नागरिक अधिकारों की जानकारी का महत्व
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने 27 जुलाई 2025 को नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों की जानकारी नहीं होगी, तो उन अधिकारों का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। यह बात उन्होंने नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (NALSA) के उत्तरी क्षेत्रीय सम्मेलन में कही।
न्याय की पहुंच हर व्यक्ति तक
जस्टिस गवई ने बताया कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाना हर वकील और न्यायाधीश की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि NALSA का उद्देश्य है कि देश के दूरदराज के क्षेत्रों जैसे लद्दाख, पूर्वोत्तर राज्यों और राजस्थान में न्याय की पहुंच सुनिश्चित की जाए। उनका मानना है कि अधिकार देना पर्याप्त नहीं है, जब तक आम नागरिक को उन अधिकारों की जानकारी नहीं होती।
कश्मीर की पुरानी स्थिति को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता
जस्टिस गवई ने कश्मीर की पिछले 35 वर्षों की सामाजिक स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि समय के साथ कुछ विसंगतियाँ उत्पन्न हुई हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है। उन्होंने उस समय को याद किया जब हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय एक साथ शांति से रहते थे। उनका मानना है कि वर्तमान संवाद और कार्यक्रम उस पुराने कश्मीर को पुनः स्थापित करने में सहायक होंगे।
संविधान की रक्षा में न्यायपालिका की भूमिका
जस्टिस गवई ने कहा कि भारत के संविधान ने नागरिकों को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक न्याय का आश्वासन दिया है, और न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह इस न्याय को सही तरीके से लागू करे। उन्होंने कानूनी समुदाय से संविधान के मूल मूल्यों के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता की अपेक्षा की।
'एक व्यक्ति, एक वोट' का महत्व
बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर का उल्लेख करते हुए, चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने 'एक व्यक्ति, एक वोट' के सिद्धांत के माध्यम से राजनीतिक न्याय की नींव रखी। इसके साथ ही, उन्होंने सामाजिक असमानताओं और भौगोलिक बाधाओं की ओर भी ध्यान आकर्षित किया जो आज भी कुछ वर्गों को न्याय से दूर रखती हैं।
लद्दाख और कश्मीर में अपनापन
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की अपनी यात्राओं को याद करते हुए, जस्टिस गवई ने कहा कि उन्हें वहां के लोगों से अपार प्रेम और सम्मान मिला। उन्होंने कहा कि ऐसा लगा जैसे वे अपने घर लौट आए हों। वहां के लोगों का स्नेह उनके लिए एक विशेष अनुभव रहा।
सूफी संस्कृति और धर्मनिरपेक्षता
जस्टिस गवई ने कश्मीर की सूफी परंपरा की सराहना की, जो भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को मजबूत करती है। उन्होंने कहा कि यहां सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों का सम्मान करते हैं, जिससे देश की विविधता में एकता की भावना और गहरी होती है।
स्थानीय मुद्दों पर चिंता
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के वकीलों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जस्टिस गवई ने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से उन मामलों में निर्णय नहीं ले सकते, लेकिन वे कॉलेजियम और अन्य संबंधित संस्थाओं तक इन समस्याओं को पहुंचाएंगे ताकि समाधान किया जा सके।